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हाथरस हादसा: प्रत्यक्षदर्शियों ने बयां की भय की वो दास्तां
– फोटो : संवाद
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तीर्थनगरी मथुरा में सौंख कस्बा सहित करीब 250 अनुयायी सिकंदराराऊ क्षेत्र के फुलराई गांव में हुए भोले बाबा के सत्संग में पहुंचे थे। जहां सत्संग समाप्ति पर भगदड़ की वजह से बड़ा हादसा हो गया। जो लोग सही सलामत बचकर लौटे हैं, भगवान का शुक्र मना रहे हैं।
सौंख क्षेत्र सहित ग्रामीण अंचल में बड़ी संख्या में भोले बाबा के अनुयायी हैं। भले ही करीब दो साल से उनका यहां कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है, लेकिन सत्संग हादसे से जो बचकर लौटे मना रहे शुक्र कार्यक्रम जिले भर में होते रहे हैं। जिसमें केवल हाथरस ही नहीं, दूर दराज के जनपद और गैर प्रांतों से भी लोग आते थे।
बाबा में लोगों की श्रद्धा उन्हें दूर-दूर तक होने वाले कार्यक्रमों में ले जाती थी। जिले से सिकंदराराऊ क्षेत्र का गांव फूलराई बहुत ज्यादा दूर नहीं है। ऐसे में मंगलवार को तीन बसों में सवार होकर बड़ी संख्या में लोग यहां से गए थे। लेकिन वहां मौत ने जो तांडव मचाया, उसे देखकर सबके दिल दहल गए।
किसी तरह जान बचाकर आए तो अब हादसे के बारे में बताने पर भी आंखों में डर दिखाई दे रहा है। कहते हैं कि हादसा बहुत बड़ा था, यह ईश्वर की कृपा रही है जो बच गए। इस बारे में ग्राम प्रधान डॉ देवेंद्र सिंह ने बताया कि साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा से महिलाओं सहित लोग भी हजारों की संख्या में जुड़े हुए है।
हाथरस सत्संग में तीन बसों में करीब 250 बाबा के अनुयायी सवार होकर गए थे। लेकिन, हादसे में तीन महिलाओ की मौत हो गई। इससे क्षेत्र में गमगीन का माहौल है। लेकिन, अनुयायियों की भोले बाबा के प्रति आस्था बरकरार बनी हुई है।
गांव करीब 15 लोग सत्संग में गए थे। इसमें पड़ोसी 3 महिला के चोट लगी है। और एक कि मौत हो गई है। भगदड़ के दौरान हम लोग एक किनारे हो गए। जिससे जान बच गई। –अशोक कुमार, अनुयायी
सत्संग में तो व्यवस्था अच्छी थी, लेकिन समापन के बाद भीड़ बेकाबू हो गई, जो सेवादारों से भी नहीं संभल सकी। मैं भगदड़ वाले स्थान से पीछे था। -चंद्रपाल सिंह, अनुयायी
मैं जैसे ही गेट से बाहर निकला एकदम भगदड़ मच गई। जिसे देख मैं एक ऊंचे स्थान पर खड़ा हो गया। भीड़ लगातार बढ़ती गई। बहुत मुश्किल से जान बचा पाया। -बबली देवी, अनुयायी
महाराज जी जैसे ही बाहर निकले उनके पीछे अन्य महिलाओं संग मैं भी मिट्टी उठाने के लिए आगे बढ़ी। तभी एकदम भगदड़ मच गई। एक ओर हटकर जान बचा पाई। –शकुंतला देवी, अनुयायी
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