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करीब छह महीने बाद एक बार फिर से झारखंड की कमान हेमंत सोरेन संभालेंगे। चंपाई सोरेन ने बुधवार शाम 7.20 बजे राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंपा। इस्तीफे के बाद हेमंत सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया।
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सरकार बनाने के लिए हेमंत सोरेन को राज्यपाल आज आमंत्रित कर सकते है। हालांकि, अब तक समय को लेकर आधिकारिक जानकारी नहीं है।
इस्तीफा देने के बाद चंपाई सोरेन ने कहा कि गठबंधन का जो फैसला था, उसी के अनुसार मैंने काम किया। वहीं, हेमंत सोरेन ने कहा कि चंपाई जी ने अपनी बात कह दी है। ये गठबंधन का फैसला है।
चंपाई सोरेन ने बुधवार शाम 7.20 बजे राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को सौंपा अपना इस्तीफा।
2 फरवरी 2024 को वे सीएम बने थे चंपाई सोरेन
बता दें कि इस साल जनवरी में जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा था। इसके बाद चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी मिली थी। 2 फरवरी 2024 को वे सीएम बने थे। वहीं, अब हेमंत सोरेन जमानत पर जेल से बाहर आ गए है। ऐसे में एक बार फिर से हेमंत सोरेन सीएम के तौर पर वापसी कर सकते हैं।
सीएम आवास पर हुई विधायक दल की बैठक।
सर्वसम्मति के बाद लिया गया निर्णय
गठबंधन के विधायकों के बीच सर्वसम्मति के बाद यह निर्णय लिया गया है। गठबंधन के नेताओं और विधायकों ने सीएम आवास पर एक बैठक के दौरान सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक दल का नेता चुनने का फैसला किया।
चंपाई सोरेन ने कहा कि हमारे गठबंधन की बात है, दल के अंदर विचार करके निर्णय लिया जाता है। जब हमलोगों ने नेतृत्व परिवर्तन किया था, मुझे दायित्व सौंपा गया था। अब हेमंत सोरेन जेल से बाहर आ गए है। गठबंधन में शामिल घटक दलों ने हेमंत सोरेन को विधायक दल का नेता चुनने का निर्णय लिया। इसके बाद हमने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
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हेमंत के हाथ वापस लौटी सत्ता:क्या है नेतृत्व परिवर्तन के पीछे की वजह, आगे कौन-सी जिम्मेदारी संभालेंगे चंपाई सोरेन
झारखंड की राजनीति में एक बार फिर बदलाव हुआ। 31 जनवरी को हेमंत ने सत्ता चंपाई सोरेन के हाथ सौंपी थी, अब पांच महीने बाद 3 जुलाई को हेमंत सोरेन ने एक बार फिर सत्ता अपने हाथ में लिया है। इस सत्ता के बदलाव के पीछे की वजह क्या है ? राजनीतिक तौर पर इसका कितना असर पड़ेगा ? भविष्य में इसका कितना प्रभाव चुनाव पर पड़ेगा ? झारखंड में अक्टूबर महीने में विधानसभा चुनाव की चर्चा है। विधानसभा चुनाव से पहले जेएमएम यह संदेश देना चाहती थी कि हेमंत ही राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। पार्टी में गठबंधन के नेताओं से भी अगले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के लिए सीएम का चेहरा कौन होगा, इसे लेकर सवाल उठने लगे थे, ऐसे में हेमंत की वापसी जरूरी थी। पूरी खबर पढ़ें…
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