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<p style="text-align: justify;"><strong>Taliban News:</strong> दुनिया का खूंखार आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्‍कानी अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के बनने के बाद पहली बार विदेश यात्रा पर गया है. सिराजुद्दीन हक्‍कानी अफगानिस्तान का गृहमंत्री भी है और हक्कानी नेटवर्क का चीफ है. हक्कानी चीफ के यूएई पहुंचने पर राष्‍ट्रपति शेख मोहम्‍मद बिन जायद अल नहयान स्वागत किया. सिराजुद्दीन हक्‍कानी दुनिया के मोस्‍ट वांटेड आतंकियों की लिस्‍ट में शामिल है. अमेरिका ने इसपर 1 करोड़ डॉलर का इनाम रखा है. हक्कानी के बारे में कहा जाता है कि उसने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर भारतीय नागरिकों को निशाना बनाया. </p>
<p style="text-align: justify;">सिराजुद्दीन हक्‍कानी के अब यूएई दौरे के बाद तालिबान में बवाल मच गया है. कहा जा रहा है कि हक्कानी यूएई में अपनी यात्रा के दौरान अमेरिकी अधिकारियों से भी मिलेगा. हक्कानी चीफ के यूएई पहुंचते ही तालिबान का सरगना मुल्‍ला हैबतुल्‍ला भड़क गया है. बताया जा रहा है कि बगैर तालिबानी सरगना से सलाह लिए हक्कानी चीफ यूएई पहुंचा है, मुल्ला हैबतुल्ला को इस यात्रा के बारे में पता ही नहीं था. अफगानिस्‍तान की आमाज न्‍यूज ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि हक्कानी चीफ सिराजुद्दीन के साथ तालिबान का खुफिया चीफ अब्‍दुलहक वासिक भी यात्रा पर है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>हक्कानी और हैबतुल्ला में बढ़ा तनाव</strong><br />तालिबान का सरगना अभी तुक दुनिया के सामने नहीं आया है, उसकी कोई तस्वीर भी सार्वजनिक नहीं है. अफगानिस्तान की मीडिया के मुताबिक, सिराजुद्दीन की खुफिया यात्रा को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने आयोजित कराई है. आमाज ने लिखा कि हक्कानी चीफ के यूएई जाने से मुल्ला हैबतुल्ला के साथ उसके रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए हैं. बताया जा रहा है कि मुल्ला हैबतुल्ला और हक्कानी अब दोनों क्षेत्रीय पार्टनर्स ढूंढ़ रहे हैं, जिससे अफगानिस्तान में अपने प्रभाव को बढ़ाया जा सके.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>हक्कानी को कहा जाता है काबुल विजेता</strong><br />विश्लेषकों का मानना है कि दुनिया की अब क्षेत्रीय ताकतों को पता चल गया है कि उन्हें आने वाले समय में तालिबान के साथ ही आगे बढ़ना होगा. बताया जाता है कि भारतीय नागरिकों पर हमले के बावजूद भारत ने हक्कानी नेटवर्क से बात की थी. तालिबान में हक्कानी को ‘काबुल का विजेता’ के तौर पर देखा जाता है. अफगानिस्तान की सरकार में हक्कानी नेटवर्क की बड़ी भूमिका है. </p>
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