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राजस्थान के इन चार सांसदों पर टिकीं निगाहें।
केंद्र में एनडीए की सरकार बनने की तैयारियों के बीच अब राजस्थान में भी सियासी हलचल बढ़ गई है। राजस्थान से इस बार भी कई नेता मंत्री बनने की कतार में है। हालांकि, 4 जून को आए परिणाम में भाजपा की प्रदेश से इस बार 11 सीटें कम हुई हैं।
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ऐसे में माना जा रहा है कि प्रदेश में मंत्री भी कम होंगे। वैसे प्रदेश से दावेदारों की संख्या कम नहीं है। इधर, माना जा रहा है कि एनडीए की सरकार में प्रदेश से तीन राजपूत चेहरों में से किसी एक को मौका मिल सकता है। तो वहीं अर्जुनराम मेघवाल और भूपेंद्र यादव मंत्री पद के लिए रिपीट हो सकते हैं।
राजस्थान में बीजेपी का कमजोर प्रदर्शन बना नेताओं के मंत्री बनने की राह में बाधा
राजस्थान से ज्यादा नेताओं के मंत्री बनने का स्कोप नहीं होने के पीछे पिछली बार से सीटें कम होना है। बीजेपी के 14 सांसद है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार इस बार बीजेपी का अकेला पूरा बहुमत नहीं होने के कारण गठबंधन सहयोगियों को भी उनकी डिमांड के हिसाब से मंत्री पद देने पड़ेंगे। ऐसे में राजस्थान के सासंदों के लिए बहुत ज्यादा जगह नहीं बनेगी।
ये हो सकते हैं मंत्री पद के दावेदार
राजस्थान से इस बार दो-तीन से ज्यादा मंत्री बनाने का सियासी स्कोप नहीं है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सियासी समीकरणों को साधने के लिए राजस्थान से कुछ चेहरे रिपीट हो सकते हैं।
अर्जुन मेघवाल : मारवाड़-नहरी क्षेत्र के प्रमुख दलित चेहरे के तौर पर दावेदारी
अर्जुन मेघवाल को रिपीट करने की संभावनाएं हैं। मारवाड़ और नहरी क्षेत्र में वे अकेले दलित चेहरे हैं। पीएम मोदी तक उनकी सीधी पहुंच मानी जाती है। लॉ प्रोफाइल होने की वजह से अंदरूनी सियासी विरोध भी कम है। राजस्थान में इस बार जिस तरह के रिजल्ट आए हैं। इसमें दलित फैक्टर बीजेपी की कम सीटों का बड़ा कारण रहा है। ऐसे में बड़े क्षेत्र में दलित वर्ग को मैसेज देने के लिए अर्जुन मेघवाल की वापसी संभव है।
भूपेंद्र यादव : पहली बार लोकसभा जीते, मंत्रिमंडल में रिपीट हो सकते हैं
भूपेंद्र यादव पहली बार अलवर से लोकसभा चुनाव जीते हैं।अब तक वे राज्यसभा से जीतते रहे है।। उन्हें मोदी कैबिनेट में रिपीट किए जाने की संभावना है । पीएम मोदी और अमित शाह के नजदीकी हैं।
अच्छे रणनीतिकार और साइलेंट वर्कर हैं। भूपेंद्र यादव का पैतृक गांव हरियाणा के गुड़गांव में है। उनकी शिक्षा अजमेर में हुई और वे अलवर से सांसद हैं।
हरियाणा विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में भूपेंद्र यादव को मंत्री बनाने के पीछे हरियाणा और राजस्थान दो स्टेट में मैसेज जाता है। हरियाणा और राजस्थान के सियासी मूड को देखते हुए बीजेपी को अब डैमेज कंट्रोल की जरूरत महसूस होने लगी है। इन सब हालात को देखते हुए भूपेंद्र यादव मंत्री बन सकते हैं।
गजेंद्र सिंह शेखावत : मारवाड़ के सियासी समीकरण साधने गजेंद्र को मौका संभव
गजेंद्र सिंह शेखावत भी तीसरी बार सांसद जीतकर मंत्री पद के दावेदार हैं। हालांकि राजस्थान से बहुत ज्यादा मंत्री बनाए जाने की संभावना नहीं है। गजेंद्र सिंह मोदी-शाह के नजदीकी होने के साथ सीमावर्ती इलाकों में अच्छा होल्ड रखते हैं। उनकी गिनती बीजेपी में राजपूत समाज से आने वाले सौम्य छवि के नेताओं में होती है।
मारवाड़ के सियासी समीकरण साधने उन्हें मौका दिया जा सकता है। पिछली बार मारवाड़ से गजेंद्र सिंह के अलावा कैलाश चौधरी भी मंत्री थे, इस बार कैलाश चौधरी चुनाव हार चुके हैं।
गजेंद्र सिंह को रिपीट नहीं किया तो चौंकाने वाला नाम भी संभव
राजस्थान से अगर गजेंद्र सिंह शेखावत को रिपीट नहीं किया तो उनकी जगह चौंकाने वाला नाम भी सामने आ सकता है। राजस्थान से राजपूत समाज के तीन बीजेपी सासंद जीते हैं, सबकी अच्छी प्रोफाइल हैं। ऐसे में यहां सबसे ज्यादा कॉम्पिटिशन है। गजेंद्र सिंह शेखावत, राव राजेंद्र सिंह, महिमा कुमारी मेवाड़ में से एक का मंत्री बनना लगभग तय है।
गजेंद्र सिंह को मंत्री नहीं बनाने पर राव राजेंद्र सिंह या महिमा कुमारी के नाम पर भी विचार किया जा सकता है। हांलाकि पहली बार के सासंद को मंत्री बनाए जाने का क्राइटेरिया रखा जाता है या नहीं, इस पर फॉर्मूला फाइनल होने के बाद ही नए चेहरों पर फैसला हो सकता है।
ओम बिरला की अगली भूमिका पर सबकी निगाहें
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की अगली भूमिका पर सबकी निगाहें टिकी हैं। लोकसभा स्पीकर जैसे संवैधानिक पद पर रहने के तुरंत बाद मंत्री बनाए जाने की संभावना कम है, लेकिन लोकसभा स्पीकर रहे कई नेता मंत्री बने हैं। शिवराज पाटिल लोकसभा स्पीकर रहने के बाद यूपीए सरकार में मंत्री बने थे।
फिलहाल चुनावी राज्यों से ज्यादा मंत्री बनेंगे
मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाए जाने पर सियासी समीकरणों के हिसाब से चुनावी राज्यों पर फोकस रखा जाएगा। हरियाणा सहित जिन राज्यों में इस साल और अगले साल चुनाव होंगे वहां से ज्यादा मंत्री बनेंगे।
राजस्थान में पहले फेज में दो के आसपास मंत्री बन सकते है।, दूसरे फेज में एक दो को और मंत्री बनाए जाने पर विचार किया जा सकता है।
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भविष्य के लिए इन नतीजों में काफी कुछ छुपा है। कांग्रेस गठबंधन खुश है- क्योंकि 25 में से 11 सीटें जीती हैं। इससे भी बढ़कर इसलिए कि देश में भी इंडिया गठबंधन ने करीब 200 सीटें हासिल की हैं। (यहां पढ़ें पूरी खबर)
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