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Pakistan Nuclear Policy: परमाणु परीक्षण के 26 साल बीत जाने क बाद भी पाकिस्तान परमाणु नीति नहीं घोषित कर पाया है. इसके पीछे की वजह भारत का डर बताया जाता है. पाकिस्तान अपने परमाणु बम को अक्सर इस्लामिक बम कहता है, लेकिन पाकिस्तान के ही जानकार इस बात पर एकमत हैं कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम भारत के खिलाफ था. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का बयान भी इसी से मिलता-जुलता रहा है. साल 1964 में उन्होंने कहा था कि ‘भारत यदि परमाणु बम हासिल कर लेता है तो पाकिस्तान को चाहे घास या पत्तियां खाना पड़े लेकिन परमाणु बम हासिल करके रहेगा.’
अब पाकिस्तान के एक्सपर्ट ने साफ किया है कि आखिर इतने सालों के बाद भी पाकिस्तान परमाणु नीति आखिर क्यों नहीं बना सका? पाकिस्तान के एक्सपर कमर चीमा ने इस मसले को लेकर इस्लामाबाद एयर यूनिवर्सिटी (Air University) में डीन डॉ. आदिल सुल्तान से बात की है. डॉ सुल्तान ने बताया कि भारत ने जब साल 1974 में पहली बार परमाणु परीक्षण किया तो पाकिस्तान में पहली बार सोच आई कि भारत को काउंटर करने के लिए परमाणु बम हासिल करना चाहिए. इसके पीछे पाकिस्तान के अंदर साल 1971 का डर छुपा था, जब भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे.
पाकिस्तान में परमाणु बम के लिए किसका योगदान
पाकिस्तान के परमाणु बम के बारे में जानकारी देते हुए आदिल सुल्तान ने बताया कि परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कदीर खान का इसमें बड़ा रोल था, लेकिन परमाणु बम हासिल करना किसी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं थी. दबी जुबान सुल्तान ने स्वीकार किया कि दूसरे देशों से पाकिस्तान में परमाणु तकीनी पहुंचने में गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल किया गया.
देश का परमाणु बम सिर्फ पाकिस्तान के लिए
आदिल सुल्तान ने कहा कि पाकिस्तान में एक आम धारणा है कि पाकिस्तान का परमाणु बम इस्लाम के लिए है. जब भी जरूरत होगी पाकिस्तान इसे इस्लामिक देशों की मदद के लिए इस्तेमाल करेगा. सुल्तान ने कहा कि असल में ऐसा नहीं है, ‘इस्लामिक भाईचारा अलग बाता है, लेकिन जब परमाणु बम की बात आएगी तो यह सिर्फ पाकिस्तान के लिए इस्तेमाल होगा.’
पाकिस्तान इस वजह से परमाणु नीति पर चुप
आदिल सुल्तान ने कहा कि पाकिस्तान के पास भले ही परमाणु नीति नहीं है, लेकिन जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान इसका इस्तेमाल करने से हिचकेगा नहीं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अगर परमाणु बम को लेकर सारे पत्ते खोल देगा तो भारत उसपर तुरंत दबाव बना लेगा. इसी वजह से पाकिस्तान परमाणु नीति पर चुप रहता है. पाकिस्तान को इसका फायदा भी हुआ है, साल 1998 के बाद से भारत ने पाकिस्तान पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की है.
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