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श्योपुर जिले के मानपुर में शनिवार को हुए नाव हादसे में 7 लोगाें की मौत हाे गई थी। मृतकों में 5 बच्चे शामिल है। रविवार को ऊर्जा मंत्री प्रदुम्न सिंह ने परिजन से मुलाकात कर 4-4 लाख रुपए की सहायता देने का आश्वासन दिया है।
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हादसे के बाद जिंदा लौटे 4 लोगों में से बड़ौदा निवासी हनुमान सुमन (25) और करीरिया गांव निवासी रामवतार सुमन (27) ने दैनिक भास्कर से चर्चा कर आपबीती सुनाई।
हम शनिवार को अपने गांव से सरोदा गांव की माली बस्ती में अपने रिश्तेदारों के यहां गए थे। सुबह सभी ने क्षेत्रपाल बाबा के दर्शन किए और करीब 3:30 बजे धूप कम होने के बाद हम अपने बीबी बच्चों के साथ अपने घर के लिए निकल गए।
सरोदा गांव की सड़क पर पहुंचने के लिए बीच में पड़ने वाली सीप नदी को किनारे रखी ग्रामीणों की नाव से पार करने लगे। नाव बीच नदी में पहुंचने ही वाली थी, तभी तेज आंधी चलना शुरू हो गई और नाव हिलने लगी। हवा उल्टी दिशा में चल रही थी, इससे नाव किनारे की ओर जाने लगी। इस दौरान किनारे से कुछ ही दूरी पर पलट गई। नाव पलटते ही बड़ा भंवर बना, जिसमें सब डूबने लगे।
हम अपनी जान बचाने के लिए जल्दी-जल्दी हाथ पैर चलाकर तैरने लगे। इससे हम 4 लोग तो बच गए, लेकिन बच्चे और महिलाओं सहित हमारे परिवार और रिश्तेदार डूब गए। और उनकी मौत हो गई। हमने मौत को बेहद करीब से देखा है। वह हादसा अभी भी हमारी आंखों के सामने बार-बार आ रहा है। हम इस हादसे को जिंदगी भर नहीं भुला सकेंगे, हमने अपनों को खोया है।
हादसे के बाद शव निकालती एसडीआरएफ टीम।
ग्रामीणों ने नाव के सहारे निकाले शव
रामवतार सुमन ने बताया कि घटना के बाद मानपुर थाना क्षेत्र के सरोदा गांव में एसडीआरएफ टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। टीम मोटर बोट को नदी में घुमाई। 20 मिनट तक डूबने वालों की तलाश करते रहे, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
वहीं ग्रामीणों ने अपनी छोटी सी नाव लेकर अपने से तैयार किए गए तार और लोहे के उपकरण रस्सी से बांधकर जैसे ही पानी में तलाश शुरू की, वैसे ही कुछ ही मिनटों में उन्हें एक साथ 2 शव मिल गए। इसके बाद ग्रामीण ही शवों को लगातार निकालते रहे।
एसडीआरएफ ग्रामीणों की बाेट से शवों को लेकर नदी के किनारे पर छोड़कर जाती रही। रामवतार ने बताया कि ग्रामीणों ने अगर मेहनत नहीं की होती तो शायद ही एसडीआरएफ टीम देर रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर पाती।
घटना स्थल पर लोगों की भीड़ लग गई थी।
मृतकों में 5 बच्चे शामिल
सीप नदी में हुई घटना में सात मृतकों में पांच बच्चे शामिल हैं। जिसमें आरती पिता कान्हाराम (16), लाली पिता रामवतार (15), भूपेंद्र पिता रामअवतार (4), श्याम पिता परशुराम (10), रविंद्र पिता परशुराम (8) शामिल हैं।
ग्रामीणाें का आरोप, देर से पहुंची मदद
घटना के बाद मेवाड़ा ग्राम के रामजन्म मीणा ने आरोप लगाया कि हादसे के दौरान समय पर मदद नहीं मिली, जिसके चलते ज्यादा लोगों की मौत हुई। घटना शाम चार बजे हुई थी, वहीं आपदा प्रबंधन की टीम दो घंटे बाद मौके पर पहुंची थी। जिनके साथ डॉक्टर और एम्बुलेंस नहीं थे। हादसा होने के दो घंटे बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया था।
ऊर्जा मंत्री प्रदुम्न सिंह ने मृतकों के परिजनों को गले लगाकर सांत्वना दी।
परिजनों से मिले ऊर्जा मंत्री, बोले- परिजनों को देंगे 4-4 लाख रुपए की सहायता
वहीं हादसे बाद रविवार सुबह मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रदुम्न सिंह श्योपुर पहुंचे। उन्होंने हादसे में जान गंवाने वाले 7 लोगों के परिजनों से मुलाकात कर घटना को लेकर दुख जताया। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए की सहायता राशि दिलाने का आश्वासन दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह राशि इस घटना की भरपाई नहीं कर सकती है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को गले भी लगाया।
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