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छात्र यशपाल का फाइल फोटो
– फोटो : अमर उजाला
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अयोध्या के कृषि विश्वविद्यालय में शोध छात्र यशपाल की मौत के साथ ही घर का ही नहीं, उसके बूढ़े पिता, भाइयों और परिवार की उम्मीदों का चिराग भी बुझ गया। खेत बेचकर किसी तरह उसे पढ़ा रहे परिजन उसके साथ खुद के भविष्य का ताना-बाना बुन रहे थे, जिस पर पानी फिर गया। अयोध्या से शव आने पर मंगलवार शाम गांव मानपुर भगवतीपुर में यशपाल का अंतिम संस्कार किया गया।
बरेली के मानपुर भगवतीपुर निवासी शोध छात्र यशपाल के पिता मलखान सिंह ने कहा कि जात-पात के भेदभाव ने उनके बेटे को निगल लिया। चार बेटों में सबसे छोटा यशपाल बचपन से ही होनहार था। हाईस्कूल व इंटर मीडिएट में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने पर उसे राजकीय पुरस्कार भी मिला था। उसी पर पूरे परिवार का सुनहरा भविष्य भी निर्भर था। इसीलिए पूरे परिवार की इच्छा थी कि किसी भी तरह अच्छी तालीम देकर उसे योग्य बनाने का हर संभव प्रयास किया जाए।
पहली बार में ही प्रवेश परीक्षा देकर एग्रोनॉमी में दाखिला पा गया तो पुश्तैनी 10 बीघा जमीन में से कुछ खेत बेचकर उसकी पढ़ाई कराई जा रही थी। सिविल सेवाओं की तैयारी के लिए उसे दिल्ली भेजने की योजना थी। इसे लेकर पूरा परिवार एकजुट था। परिवार के सभी सदस्य यशपाल को किसी बड़े ओहदे पर देखना चाहते थे।
पिता ने आरोप लगाया कि जात-पात की दूषित मानसिकता से ग्रसित शिक्षक ने सभी के अरमानों पर पानी फेर दिया। इसी दूषित मानसिकता से आए दिन उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। वह धान, गेहूं के ट्रायल की मांग कर रहा था, लेकिन जान-बूझकर उसे दूसरे विषय का ट्रायल दिया गया।
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