अजित सिंह ओबरा
सोनभद्र/डाला। शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व महाशिवरात्रि पर शुक्रवार को गुप्त काशी डम डम गुफा सहित जिले के अन्य प्राचीन शिवालयों में भक्तगण दर्शन पूजन करेंगे। भक्तों की भीड़ को देखते हुए शिवालयों में सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गये हैं। पुलिस प्रशासन ने अलावा मंदिर प्रशासन श्री हर हर महादेव सेवा समिति की तरफ से वॉलेंटियर्स लगाए गये हैं।महाशिवरात्रि के अवसर पर घोरावल शिवद्वार महादेव मंदिर,डाला सलाई बनवा श्री सिद्ध पीठ शिव पार्वती अमर डम डम गुफा, ओबरा बाबा भूतेश्वर दरबार,कंडाकोट स्थित गिरिजा मंदिर, बरैला गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर, गौरीशंकर और गुप्तकाशी सहित ग्रामीण अंचल के शिवालयों में बड़ी संख्या में भक्तगण दर्शन पूजन करते हैं। महाशिवरात्रि पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए शुक्रवार को पूरे दिन तैयारी है।श्री हर हर महादेव सेवा समिति द्वारा महाशिवरात्रि पर्व को लेकर तैयारियां अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं। शिवालयों और मंदिर के प्रांगण को सजाने-संवारने के साथ साफ-सफाई का कार्य तेजी से जारी है। शिवरात्रि महापर्व को लेकर ओबरा बिल्ली गजराज नगर सलाईबनवा डाला श्री सिद्ध पीठ शिव पार्वती अमर डम डम गुफा शिवालय प्रांगर में भव्य मेला का आयोजन पिछले कई वर्षों से किया जाता है। जिसकी तैयारियां आयोजकों कमेटी द्वारा कई वर्षों से शुरू कर दिया गया है। वहीं श्री श्री हर हर महादेव सेवा समिति के अध्यक्ष भानुप्रताप,गणेश,आदित्य प्रताप सिंह उर्फ गौरव सिंह, प्रदीप, ज्योति, सूरज,माइकल,मखान्छु, संतोष, सहित अन्य सदस्य शिवालय की सजावट व रंगाई पुताई के सक्रिय हो गए हैं।आपको बताते चलें मंदिर के साधु श्री त्यागी महाराज,श्री स्वामी बद्रीनाथ महाराज ने कहा कि हर साल की भांति इस साल भी धूमधाम से शिवरात्रि मेला का आयोजन समिति द्वारा किया जाता है। हर हर महादेव सेवा समिति के अध्यक्ष भानु प्रताप रावत ने बताया कि शिवरात्रि के अवसर पर यहां 25 से 20 हजार से अधिक श्रद्धालु आते हैं। यहां साफ-सफाई के साथ मंदिर में रंग रोगन का काम चल रहा है। श्रद्धालुओं के लिए पानी के मुकम्मल इंतजाम किए गए हैं।आदित्य प्रताप सिंह उर्फ गौरव सिंह ने कहा की महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह पर्व में भगवान शिव और आदिशक्ति का मिलन की रात है।आज ही के दिन शिव की विवाह माता पार्वती से हुई थी ।मान्यता के अनुसार हिन्दू रीत रिवाज के अनुसार शिव विवाह के बाद ही विवाह जैसे पुनित कार्यों की शुभारंभ किया जाता है।आज भी धर्मज्ञाता के द्वारा बीना शिव विवाह के सम्पन्न के अपने अपने घरो में विवाह जैसे अनुष्ठान की शुभारंभ नही करते है। शिवरात्रि पर्व का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव और माता पार्वती की विवाह दिवश मनाना ही माना जाता है और लोग विधी विधान से यह पर्व मनाते है ।समिति के पुजारी गणेश बाबा ने बताया कि शिवरात्रि पुरुष और महिला खासकर कुंवारी कन्या अधिक करते हैं। शिव रात्रि पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शिवरात्रि मैं भगवान शिव की पूजा होती है पार्वती ने सर्वप्रथम भगवान शिव की पूजा की थी और मन ही मन भगवान शिव को पति रूप में स्वीकार कर लिया था ।आज ही के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विर अगला हुआ था तब से ही परंपरा अनुसार सभी लोग भगवान शिव लेख विवाह समारोह मनाते हैं।