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पिछले दिनों भोपाल के रहने वाले एक शख्स ने पुलिस को ऐसा ही शिकायती आवेदन दिया था। पुलिस ने इसका जवाब दिया कि ये निजता यानी प्राइवेसी का हनन है, इसलिए ऐसी जानकारी नहीं दे सकते। इसके बाद इस शख्स ने पुलिस के ही खिलाफ जानकारी न देने की शिकायत सीएम हेल्पलाइन-181 को कर दी।
पुलिस के खिलाफ सीएम हेल्पलाइन में की गई ये अकेली ऐसी अजीबोगरीब शिकायत नहीं है, बल्कि एक शख्स ने तो सीएम हेल्पलाइन को शिकायत की- ‘कॉल करने के बाद भी पुलिस सांप पकड़ने भी नहीं आ रही है।’
ये सारी शिकायतें पुलिस के दायरे के बाहर की है। ऐसे में पुलिस ने शिकायत करने वालों से इसे वापस लेने की मिन्नतें की, लेकिन वे इस बात पर अड़े हैं कि जब तक समाधान नहीं होता वे शिकायत वापस नहीं लेंगे। अब पुलिस पसोपेश में है, क्योंकि सीएम की सीधी मॉनिटरिंग के चलते ऐसी शिकायतों को जबरदस्ती बंद भी नहीं किया जा सकता है। पढ़िए किस तरह से अजीबोगरीब शिकायतों से जूझ रही हैं मध्यप्रदेश की पुलिस
सबसे पहले जानिए 4 अजीबोगरीब केस….
केस1: ‘दो लड़कियों के पति से अवैध संबंध, गिरफ्तार करे पुलिस’ एक महिला ने पुलिस को की गई शिकायत में कहा- मुझे शक है कि दो लड़कियों के मेरे पति के साथ अवैध संबंध हैं। पुलिस दोनों लड़कियों को हिरासत में ले, लेकिन पति पर कोई कार्रवाई न करें।
पुलिस ने महिला से अवैध संबंध का सबूत मांगा तो पत्नी ने कहा कि कोई सबूत नहीं है। पुलिस ने महिला को समझाया कि सिर्फ शिकायत के आधार पर लड़कियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, लेकिन महिला जिद पर अड़ी है कि पुलिस दोनों लड़कियों को गिरफ्तार करें।
पुलिस ने महिला को कई बार समझाया, लेकिन जब वह नहीं मानी तो उसकी बातों को अनसुना कर दिया। पुलिस के इस रवैये को लेकर महिला ने सीएम हेल्पलाइन में ही पुलिस के खिलाफ शिकायत कर दी। ये भी कहा कि जब तक लड़कियां गिरफ्तार नहीं होंगी, तब तक सीएम हेल्पलाइन से शिकायत वापस नहीं लेगी।
केस2: ‘सांप पकड़ने नहीं आई पुलिस, कार्रवाई करें’ भोपाल के बरखेड़ा में रहने वाले एक शख्स के घर में सांप घुस गया। रहवासियों ने पुलिस को फोन कर सांप पकड़ने और बचाने की गुहार लगाई। पुलिस ने रहवासियों को समझाया कि ये मामला नगर निगम का है उन्हें कॉल करें। नगर निगम अधिकारियों के नंबर भी दिए।
अगले दिन रहवासियों ने इसे पुलिस की लापरवाही बताते हुए सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर दी। शिकायत में कहा कि पुलिस की लापरवाही से घर में किसी की जान जा सकती थी, इसलिए जिस पुलिसकर्मी ने फोन रिसीव किया, उस पर कार्रवाई की जाए।
जिस अधिकारी ने फोन रिसीव किया था उसने शिकायत करने वाले शख्स को समझाया कि ये मामला नगर निगम का है इसलिए शिकायत वापस लें तो उसने कहा कि घर के लोगों की जान खतरे में थी इसलिए उसने शिकायत की। सभी लोगों से बात कर फैसला लूंगा।
सीएम हेल्पलाइन में आई पेंडिंग शिकायतों का निराकरण करते पुलिस अधिकारी।
केस3: एग्रीमेंट में लिखा-सिविल कोर्ट निर्णय करेगा, शिकायत पुलिस से की दो लोगों ने मिलकर 2 साल पहले पार्टनरशिप में शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट के लिए एक कंपनी शुरू की थी। कंपनी को हुए मुनाफे से प्रॉपर्टी खरीदी। कुछ महीने पहले इस प्रॉपर्टी के स्वामित्व को लेकर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया।
एक पार्टनर ने पुलिस में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराते हुए दूसरे पार्टनर की गिरफ्तारी की मांग की। साथ में प्रॉपर्टी दिलाने की भी बात कही। पुलिस की तहकीकात में सामने आया कि बिजनेस शुरू करने से पहले दोनों के बीच एक एग्रीमेंट हुआ था कि बिजनेस से जुड़े किसी विवाद की स्थिति में निर्णय सिविल कोर्ट करता है। पुलिस ने इस एग्रीमेंट को देखने के बाद शिकायतकर्ता को सिविल कोर्ट जाने को कहा।
शिकायतकर्ता ने सीएम हेल्पलाइन से गुहार लगाई और कहा कि पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही। पुलिस का कहना है कि यह सिविल कोर्ट का केस है। दूसरी ओर शिकायत करने वाले का कहना है कि पुलिस जब तक प्रॉपर्टी नहीं दिला देती वह शिकायत वापस नहीं लेगा।
अधिकारियों के मुताबिक कई बार तो अपराधी भी सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की धौंस देने से नहीं चूकते।
केस4: पति ने साथ रहने से इनकार किया तो पुलिस की शिकायत की एक पत्नी ने अपने पति के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज कराया। कुछ दिन पति जेल में रहा, जेल से छूटने के बाद पति अपनी पत्नी से अलग रहने लगा। मामला कोर्ट में चल रहा है। पत्नी फिर पुलिस के पास पहुंच गई कि पुलिस पति को उसके साथ रहने के लिए राजी कर ले।
कोर्ट में मामला होने के बाद भी पुलिस ने अपने स्तर पर महिला के पति से बात कर उसकी काउंसिलिंग की। पति ने महिला के साथ रहने से साफ इनकार कर दिया। महिला ने पुलिस की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में कर दी।
शिकायत में कहा कि पुलिस की वजह से वह अपने घर वापस नहीं आ पा रही है। वह तब तक शिकायत वापस नहीं लेगी जब तक पुलिस उसे घर में दाखिला नहीं दिला देती।
आखिर क्यों आती हैं ऐसी शिकायतें, क्या कहते हैं अधिकारी डीसीपी संजय अग्रवाल कहते हैं कि पुलिस सरकार का ऐसा चेहरा होता है जो आसानी से जनता को सुलभ है। जब भी किसी को परेशानी होती है तो वह सबसे पहले पुलिस को ही कॉल करता है। वे कहते हैं कि पुलिस आम जनता के सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहती है, मगर पुलिस की भी अपनी सीमाएं होती हैं। जैसे-
- वह केवल कौग्नीजेबल ऑफेंस यानी संज्ञेय अपराध में ही सीधे एफआईआर दर्ज कर सकती है।
- ऐसे मामले जिनमें 7 साल की सजा का प्रावधान है उनमें बिना मजिस्ट्रेट की इजाजत के आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
- कई बार आम लोग ऐसी शिकायतें करते हैं जो आपराधिक की बजाय सिविल मामलों की होती है।
- इन मामलों की सुनवाई का अधिकार पुलिस को नहीं होता।
शिकायतों का निराकरण करने वाले एक अधिकारी बताते हैं कि लोगों को लगता है कि पुलिस उनकी सुनवाई नहीं कर रही है तो वे सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करते हैं। उदाहरण देते हुए वे कहते हैं कि नए कानून के मुताबिक ऐसे अपराध जिनमें 7 साल से कम सजा का प्रावधान है। उनमें पुलिस आरोपी को जेल में नहीं रख सकती। वहीं कई बार आरोपी को कोर्ट से बेल मिल जाती है।
शिकायतकर्ता को लगता है कि पुलिस ने ठीक से काम नहीं किया वह इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन को कर देता है। बहुत सारी शिकायतें चोरी और मोबाइल छीनने की होती है। फरियादी इसकी भी शिकायत सीएम हेल्पलाइन में करते हैं। जब तक चोरी हुआ सामान वापस नहीं मिलता तब तक वह शिकायत वापस नहीं लेता।
अब जानिए ऐसी शिकायतें बंद क्यों नहीं कर पाते अफसर सामान्य तौर पर हर महीने शहरी थानों से संबंधित 50 से 80 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन पर होती है। इनमें से 20 से 25 शिकायतें आपसी लेनदेन, रिश्तों के विवाद और सिविल मामलों की होती है। इनमें फरियादी आरोपी को तुरंत गिरफ्तार करने और जेल भेजने की मांग करते हैं।
ऐसा नहीं है कि इससे पहले ऐसी शिकायतें नहीं आती थी। एक अधिकारी कहते हैं कि पहले पुलिस फरियादी पर दबाव बनाकर या दूसरे हथकंडे इस्तेमाल कर शिकायत बंद करवा देती थी। वे कहते हैं अब ऐसा संभव नहीं है। पिछले महीने 28 अक्टूबर को सीएम हेल्पलाइन की समीक्षा बैठक के दौरान सीएम डॉ. मोहन यादव के सामने फोर्सली शिकायतों को बंद करने का मामला सामने आया था।
उन्होंने अफसरों को सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद से पुलिस अफसर अब ऐसी कोई रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है।
महीने के आखिर में पेंडिंग शिकायतों को निपटाने का दबाव ज्यादा अधिकारियों के मुताबिक पुलिस बमुश्किल 50 फीसदी शिकायतों का निराकरण महीने के आखिर तक कर पाती है। हर महीने के आखिर में मुख्यमंत्री या चीफ सेक्रेटरी शिकायतों की स्थिति की समीक्षा करते हैं। ज्यादा पेंडिंग शिकायतें होने पर अफसरों को फटकार लगती है, और इसका जवाब मांगा जाता है।
अधिकारी बताते हैं कि महीने के आखरी हफ्ते में पुलिस महकमे पर पेंडिंग शिकायतों को निपटाने का प्रेशर होता है। इसके चलते रूटीन जांच और कार्रवाई में कई बार लेट लतीफी होती है और फिर इसकी शिकायत भी सीएम हेल्पलाइन में हो जाती है।
इस महीने 12 विभागों की समीक्षा करेंगे सीएम सीएम हेल्पलाइन में 7.39 लाख से अधिक मामले पेंडिंग होने के बाद सीएम डॉ मोहन यादव ने 28 अक्टूबर को समीक्षा बैठक में जिलों के कलेक्टर और एसपी से सीधा संवाद किया था। इस दौरान 12 जिलों की जन समस्याओं का समय पर निराकरण नहीं होने पर सीएम यादव ने 11 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए थे।
अब इस महीने सीएम 12 विभागों की समीक्षा करने वाले हैं। सरकार ने विभागों के नाम तय कर दिए हैं। इनमें लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, ग्रामीण विकास, नगरीय विकास, राजस्व, सामाजिक न्याय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, तकनीकी शिक्षा, श्रम, जनजातीय विकास, पंचायत एवं ऊर्जा विभाग से संबंधित शिकायतों का चयन किया जाएगा।
जिस दिन मीटिंग होगी उसी दिन इन विभागों की रेंडम शिकायतें सिलेक्ट कर निराकरण की कार्यवाही की जाएगी।
एक दिन में 5 से ज्यादा कॉल की तो दिनभर के लिए ब्लॉक होगा नंबर
सीएम हेल्पलाइन का दुरुपयोग करने वालों पर भी सरकार कार्रवाई करने का मन बना रही है। लोक सेवा प्रबंधन के प्रमुख सचिव राघवेंद्र सिंह का कहना है कि सीएम हेल्पलाइन पर रोजाना लगभग 60 हजार कॉल आते हैं। सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों में से 97.3 प्रतिशत शिकायतों का निराकरण हो चुका है और 72% शिकायतें, शिकायतकर्ता की संतुष्टि के बाद बंद की जा चुकी हैं। 2.7 फीसदी शिकायतें पेंडिंग हैं।
राघवेंद्र सिंह के मुताबिक सीएम हेल्पलाइन का दुरूपयोग करने वालों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। पोर्टल में एक दिन में ही एक व्यक्ति ने अगर पांच से अधिक शिकायत की है तो शिकायतकर्ता को उस दिन के लिए ब्लॉक करने पर विचार किया जा रहा है। 181 पर आने वाली शिकायतों की मॉनिटरिंग कर ज्यादा या अनावश्यक शिकायतें करने वालों की भी पहचान की जाएगी।
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