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राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) अब हर एग्जाम के लिए अलग-अलग फीस वसूलने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए आयोग ने सरकार को एक हफ्ते पहले प्रस्ताव बनाकर भी भेज दिया है। इसमें कहा गया है कि कुछ भर्ती परीक्षाओं में लाखों अभ्यर्थी निशुल्क फॉर्म तो भर रहे हैं, ल
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फॉर्म की संख्या के आधार पर आरपीएससी को अतिरिक्त व्यवस्थाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में क्यों न परीक्षाओं के लिए शुल्क वसूलने की व्यवस्था फिर से लागू की जाए। हालांकि, प्रस्ताव में आरपीएससी ने यह भी कहा है कि फॉर्म भरने के बाद एग्जाम देने वाले अभ्यर्थी को वह फीस एक महीने में रिफंड कर दी जाएगी। यदि ऐसा होता है तो इसका असर वन टाइम रजिस्ट्रेशन करवा चुके 56 लाख कैंडिडेट पर पड़ेगा।
आयोग का दावा-फ्री में आवेदन करने की छूट का दुरुपयोग कर रहे कैंडिडेट
दरसअल, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने आरपीएससी में वन टाइम रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू की थी। इसके तहत स्टूडेंट को केवल एक बार ही रजिस्ट्रेशन करते समय फीस भरनी है। इसके बाद जितने भी सरकारी एग्जाम होंगे उनमें छात्रों से कोई शुल्क नहीं वसूला जाता। लेकिन, हाल ही में हुए एग्जाम में सामने आया कि कई स्टूडेंट केवल फॉर्म भर रहें है और वे एग्जाम देने नहीं आ रहे। हालांकि, अलग-अलग फीस का निर्णय सरकार के स्तर पर पेंडिंग है। यदि सरकार आयोग के इस प्रस्ताव को मान लेती है तो नई व्यवस्था के तहत वे ही आवेदन करेंगे, जिनको वास्तविक रूप से एग्जाम में शामिल होना है।
इसलिए पड़ी इसकी जरूरत…
वन टाइम रजिस्ट्रेशन की शुरुआत कर सरकार ने बेरोजगारों के लिए किसी भी वैकेंसी में आवेदन करने के लिए फ्री कर दिया था। कैंडिडेट्स को बस एक बार वन टाइम रजिस्ट्रेशन कराना होता है। सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 600 रुपये और सभी आरक्षित वर्ग (ओबीसी, एमबीसी, एसटी, एससी, ईडब्ल्यूएस) और दिव्यांगजन के लिए 400 रुपए एक बार ही लिए जाते हैं। इसके बाद वह किसी भी भर्ती में फ्री में आवेदन कर सकता है।
इससे बेरोजगारों को सालभर में निकलने वाली भर्तियों में फीस से छुटकारा तो मिला लेकिन भर्ती परीक्षाओं में आवेदनों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हो गई। इसके विपरीत इन भर्ती परीक्षाओं में फॉर्म भरने वाले कैंडिडेट्स बहुत ही कम संख्या में पहुंच रहे हैं।
हाल ही में एग्जाम में ऐसी रही स्थिति, इसलिए बढ़ी चिंता
- राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से हाल ही में 8 सितम्बर को आयोजित किए गए असिस्टेंट प्रोफेसर (संस्कृत शिक्षा) के एग्जाम के लिए 37 हजार 918 ने आवेदन किए थे। इसमें केवल 8350 ही परीक्षा देने आए। जो 22 प्रतिशत है।
- कृषि विभाग में सहायक सांख्यिकी अधिकारी पद के लिए कुल 13290 कैंडिडेट ने आवेदन किए और जब एग्जाम हुआ तो शामिल हुए 2004 यानी 15 फीसदी कैंडिडेट्स।
- पुरा लेखपाल के लिए 1706 ने आवेदन किए और 191 ही एग्जाम शामिल हुए। सहा. पुरालेखपाल के लिए 1784 ने आवेदन किए और शामिल हुए 153 ही।
- शोध अध्येता में 944 में से 78, खोज अधिकारी में 1427 में से 85, रसायनज्ञ में 1180 में से 120, इंजीनियर यांत्रिकी में 11780 में से 1530 ही शामिल हुए।
- कॉलेज शिक्षा (40 विषय) में 65000 में से 25000, कॉलेज शिक्षा एबीएसटी में 8584 में से 2084, कॉलेज शिक्षा रसायन शास्त्र में 9128 में से 2776 शामिल हुए।
- आरएएस प्री 2023 में 696969 में 457957, एसआई 2023 में 766000 में से 325000 ने ही एग्जाम दिए।
हर कैंडिडेट पर करीब 400 रुपए खर्च होते हैं
आयोग को भर्ती वैकेंसी में आए आवेदन के अनुसार पेपर छपवाने पड़ते हैं। आवेदनों की संख्या के अनुसार ही एग्जाम सेंटर की व्यवस्था करनी पड़ती है। फिर उन पेपर को सेंटर तक पहुंचाने, एग्जाम सेंटर पर एग्जामिनर लगाने, चेकिंग करने सहित अन्य व्यवस्थाएं करनी पड़ती है। इसके लिए समय व धन दोनों ही लगता है। आयोग के अनुसार एक कैंडिडेट के लिए एग्जाम की व्यवस्था करने में 400 रुपए खर्च होते हैं। लाखों कैंडिडेट्स इन परीक्षाओं में आवेदन करते हैं और उसके बाद जब वे एग्जाम देने नहीं आते है तो उन पर खर्च हुए करोड़ों रुपए बेकार हो जाते हैं।
नकल पर लगाम के लिए भी OTR में भी किया जा चुका बदलाव आरपीएससी ने नकल रोकने के लिए कई सुधार किए हैं। हाल ही में अभ्यर्थी को OTR में लाइव फोटो कैप्चर करना अनिवार्य किया है। इसके तहत फॉर्म भरने के लिए ई-केवाईसी सेक्शन में जाकर लाइव फोटो कैप्चर लिंक पर क्लिक करना होता है। ऑनलाइन आवेदन तभी स्वीकार किया जा रहा है जब अभ्यर्थी अपनी लाइव फोटो कैप्चर करेगा।
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