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कभी राजस्थान से हरियाणा होते हुए दिल्ली तक बहने वाली साहिबी नदी (Sahibi River) अब खो गई है। यह नदी पूरे इलाके का बारिश का पानी एकत्रित कर नजफगढ़ झील के रास्ते यमुना तक पहुंचती थी।
कभी राजस्थान से हरियाणा होते हुए दिल्ली तक बहने वाली साहिबी नदी (Sahibi River) अब खो गई है। यह नदी पूरे इलाके का बारिश का पानी एकत्रित कर नजफगढ़ झील के रास्ते यमुना तक पहुंचती थी। सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों के जरिये पहली बार खोई हुई साहिबी नदी का नक्शा तैयार किया गया है। इससे नदी के पुनर्जीवन की आशा बढ़ गई है।
दिल्ली में आज के दौर में ज्यादातर लोग केवल यमुना को ही जानते हैं, लेकिन दिल्ली के एक हिस्से से होकर साहिबी नदी भी बहती थी और अच्छे मॉनसून के सीजन में इस नदी में कभी-कभी इतना पानी आ जाता था कि बाढ़ में कई हिस्से डूब जाते थे। अब विरासतों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था इनटेक (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हैरिटेज) ने साहिबी नदी के पूरे बेसिन का नक्शा तैयार किया है।
मसानी बैराज बनने के बाद प्रवाह बाधित हुआ : दिल्ली और हरियाणा के बड़े हिस्से में वर्ष 1977 में आई बाढ़ के बाद रेवाड़ी के मसानी गांव के पास इस नदी पर बैराज बनाया गया। इसके बाद से ही इस नदी का प्रवाह बाधित होने की बात कही जाती है।
लोगों को जागरूक करने की जरूरत : नजफगढ़ क्षेत्र में साहिबी नदी के संरक्षण को लेकर अभियान चलाने वाले दिल्ली पंचायत संघ का कहना है कि नजफगढ़ ड्रेन के किनारे सेल्फी पॉइंट बनाकर लोगों को जागरूक करना चाहिए।
राजस्थान से दिल्ली तक बहती थी नदी
साहिबी नदी राजस्थान के सीकर जिले में सैवार पहाड़ियों से निकलकर राजस्थान के अलवर जिले, दक्षिण हरियाणा के रेवाड़ी से होते हुए बहती थी। गुरुग्राम के पटौदी में इंदौरी और बादशाह नाले से इसमें पानी और ज्यादा हो जाता था। यहां से निकलकर यह नदी नजफगढ़ झील तक पहुंचती थी, लेकिन अब इसका अस्तित्व खत्म हो गया है।
नेचुरल हैरिटेज डिवीजन, इनटैक के कार्यक्रम निदेशक मनु भटनागर ने कहा, ”यह अच्छे मॉनसून में बहने वाली नदी थी। अलवर, रेवाड़ी और गुरुग्राम तक के बरसाती पानी को यह नजफगढ़ झील में पहुंचाती रही है। पिछले वर्षों में नदी की जमीन को हथिया लिया गया है, जिसके चलते एक नदी की हत्या हो गई है।”
पर्यावरणविद् दीवान सिंह ने कहा, ”दक्षिण हरियाणा और दिल्ली के लिए बरसाती पानी की निकासी का एकमात्र स्त्रोत साहिबी नदी रही है। इसे बचाया जाना अत्यंत जरूरी है।”
स्थानीय निवासी सूरजभान ने कहा, ”साहिबी नदी हमारे बचपन की यादों का हिस्सा रही है। इसमें आई बाढ़ का जिक्र आज भी लोग करते हैं। इस नदी का संरक्षण होना चाहिए।”
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