[ad_1]
मानसरोवर के जीडी बड़ाया सभागार अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम राम नारायणं जानकी वल्लभं की मधुर धुन के साथ सुंदरकांड से जीवन की सुंदरता पर विषय पर प्रवचन आरंभ हुआ। यह प्रवचन विश्व मंगलम सेवा संस्थान की ओर से कराया गया। व्यासपीठ से मदन मोहन महाराज ने कहा
.
उन्होंने कहा- जीवन के अर्थ को समझें ताकि बार-बार जन्म मरण के बंधनों से मुक्त हो। हनुमान जी का चरित्र हमें प्रेरणा देता है किसी भी परिस्थिति में दुखी ना हो। हमारे जीवन में भ्रांति नहीं भक्ति होनी चाहिए। जीवन का मार्ग आध्यात्म का मार्ग है जिसमें आनंद मिलता है। सत्कर्म और हरि भजन करें। हनुमान जी को श्रीराम और रावण के अंदर भी श्रीराम का दर्शन होता है। परमात्मा किसी को अधूरा और संसार कभी किसी को पूरा नहीं मिलता। हनुमान जी कभी रोए नहीं यदि आंख में आंसू दिखे भी तो प्रेम के आंसू निकलते थे, यह चैतन्य अवस्था है। हमारी साधना ऐसी होनी चाहिए कि सुंदर काण्ड, हनुमान चालीसा पढ़ते हुए आपकी आंखों से अश्रु धारा बह निकले, वह आनंद है। जीवन एक खेल है।
[ad_2]
Source link