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हरियाणा में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन 2019 के मुकाबले काफी कम रहा। भाजपा का वोट प्रतिशत भी पिछली बार के मुकाबले कम रहा। ऐसे में कार्यकर्ताओं के मनोबल पर कहीं ना कहीं असर पड़ा है। इसे देखते हुए भाजपा कैडर में जान फूंकने के लिए कें
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भाजपा की जिलाध्यक्षों के साथ मुख्यमंत्री नायब सैनी की बैठक।
हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर बनेगी रणनीति
अमित शाह की बैठक में विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने के लक्ष्य के साथ भाजपा हरियाणा में आगे बढ़ेगी। इस बैठक में अमित शाह कांग्रेस द्वारा हरियाणा में फैलाए गए झूठ के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा प्रचार करने जोर दिया जाएगा। फोटो खिंचवाने वाले कार्यकर्ताओं को फिल्ड में उतरकर मेहनत करने और काम नहीं करने वाले कार्यकर्ताओं को पद छोड़ने तक की नसीहत कार्यकर्ताओं को दी जाएगी।
इसके अलावा 2014 और 2019 की तरह इस बार भी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए कार्यकर्ताओं को मोटिवेट किया जाएगा। इस बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित प्रदेश भाजपा की कोर टीम के सदस्य ओपी धनखड़, सुधा यादव, कैप्टन अभिमन्यु, सुभाष बराला और रामबिलास शर्मा मौजूद रहेंगे। इसके साथ-साथ हरियाणा के सभी मंत्री, विधायक और सांसद बैठक में भाग लेंगे। इतना ही नहीं करीब 2500 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ता इस बैठक में हिस्सा लेंगे।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी।
शाह के कार्यक्रम से एक दिन पहले बैठक
वहीं प्रदेश भाजपा की ओर से अमित शाह की बैठक की पहले प्रदेश पदाधिकारियों, जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारियों की बैठक आयोजित होगी। इस बैठक में करीब 45 लोग भाग लेंगे। इस बैठक में अमित शाह के दौरे के दौरान एजेंडे सेट किए जाएंगे। जिलों की क्या व्यवस्था रहेगी। इसकी पूरी रूपरेखा तैयार की जाएगी। आपको बता दें कि 2019 में जहां भाजपा ने लोकसभा में हरियाणा की 10 में से 10 सीटें जीती थीं वहीं बार इस बार लोकसभा में भाजपा 5 सीटें कांग्रेस से हार गई। कांग्रेस लोकसभा चुनावों में मजबूत बनकर उभरी है और हरियाणा की 90 विधानसभा में से कांग्रेस ने गठबंधन में रहते हुए 46 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाकर उभरी वहीं भाजपा 42 विधानसभा सीटों पर आगे रही। ऐसे में भाजपा के सामने इस बार मुकाबला टफ है।
इन कारणों से भाजपा के सामने कड़ी चुनौती
1. सत्ता विरोधी लहर : भाजपा हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। हरियाणा में 10 साल से भाजपा की सरकार है। हरियाणा की जनता प्रदेश में बदलाव की ओर देख रही है। हालांकि भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला मगर इसका फायदा लोकसभा चुनाव में नहीं मिला। लोकसभा चुनाव में भाजपा को जरूर मोदी के नाम के वोट मिले मगर अबकी बार विधानसभा चुनाव की राह कठिन है।
2. जाट और एससी समाज की नाराजगी : भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाट और एससी समाज को साधने की है। लोकसभा चुनाव में दोनों समाज ने भाजपा के खिलाफ होकर एकजुट होकर वोट किया। इसका परिणाम था कि जिन विधानसभा में जाट समाज या एससी समाज का प्रभाव है उन विधानसभा में भाजपा की हार हुई है। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों वर्गों को साधने की है।
3. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना : भाजपा के सामने केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर लोगों में नाराजगी है। केंद्र सरकार की ओर से बनाए तीन कृषि कानून को लेकर काफी लंबा आंदोलन हुआ। इसमें हरियाणा के किसानों ने अग्रणी भूमिका निभाई। हरियाणा सरकार ने किसानों के साथ कई मोर्चों पर जबरदस्ती की और साथ नहीं दिया। इस कारण किसान हरियाणा सरकार से नाराज हो गए। वहीं केंद्र की अग्निवीर योजना से हरियाणा के युवा खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले युवा नाराज हैं। हरियाणा में बड़े स्तर पर युवा आर्मी भर्ती की तैयारी करते हैं।
अब यहां पढ़िए लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन
11.06% वोट शेयर घटा
हरियाणा में इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46.06 वोट प्रतिशत मिले हैं। जबकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का 58 प्रतिशत वोट शेयर था। 5 सालों में पार्टी का प्रदेश में 11.06 वोट प्रतिशत घटा है।वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर देखें तो इस चुनाव में 43.73% वोट शेयर लेकर भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। 2019 में कांग्रेस को सिर्फ 28.42% वोट शेयर मिला था। 5 साल में कांग्रेस के वोट शेयर में 15.31% वोट शेयर की बढ़ोतरी हुई है।
रिजर्व सीटों पर BJP का बुरा हाल
हरियाणा में कुल 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं। इनमें से मात्र 4 सीटों पर ही BJP को जीत मिली है। वहीं, कांग्रेस को 11, आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए भी बेहतर नतीजे आए हैं। AAP ने 2 सीटों पर लीड ली है। ये दोनों आरक्षित सीटें कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट में आती हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटों में से कांग्रेस ने मुलाना, सढौरा, खरखौदा, कलानौर, झज्जर, बवानीखेड़ा, उकलाना, कालांवाली, रतिया, नरवाना और होडल सीटें जीती हैं।
AAP ने शाहाबाद और गुहला चीका, जबकि BJP ने नीलोखेड़ी, इसराना, पटौदी और बावल सीटें जीती हैं।
इन मंत्रियों के गढ़ में पिछड़ी पार्टी
भाजपा विधायकों के अंबाला शहर से असीम गोयल (परिवहन मंत्री), जगाधरी से कंवरपाल गुर्जर (कृषि मंत्री), पिहोवा से संदीप सिंह (पूर्व खेल मंत्री), कलायत से कमलेश ढांडा (पूर्व मंत्री), आदमपुर से भव्य बिश्नोई, नलवा से रणबीर सिंह गंगवा, बवानीखेड़ा से बिशंबर वाल्मीकि (राज्य मंत्री), फतेहाबाद से दूडाराम, रतिया से लक्ष्मण नापा, लोहारू से जेपी दलाल (कृषि मंत्री), कोसली से लक्ष्मण यादव, हथीन से प्रवीण डागर, होडल से जगदीश नागर के विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवार की हार हुई।
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