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3 मिनट पहले
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सेकेंड फेज की 12 हॉट सीटों पर नजर…
1. वायनाड, केरल
केरल की वायनाड सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। 2019 में राहुल गांधी यहां से पहली बार चुनाव लड़े और जीते। हालांकि, वे अपनी परंपरागत सीट अमेठी से भाजपा की स्मृति ईरानी से हार गए। इस बार राहुल गांधी के खिलाफ I.N.D.I. ब्लॉक की एक और पार्टी CPI (M) ने महिला प्रत्याशी ऐनी राजा को उतारा है। वहीं भाजपा ने केरल के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन को टिकट दिया है।
ऐनी राजा CPI महासचिव डी राजा की पत्नी हैं। एनी राजा राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने के फैसले को वामपंथी पार्टियों को कमजोर करने की साजिश करार देती हैं। वहीं सुरेंद्रन सबरीमाला आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे। उस दौरान उन्हें 21 दिन तक जेल में भी रहना पड़ा था। सुरेंद्रन पर 243 मामले दर्ज हैं।
2. तिरुवनंतपुरम, केरल
तिरुवनंतपुरम सीट पर तीन बार से कांग्रेस सांसद शशि थरूर के सामने भाजपा ने केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को टिकट दिया है। राजीव 2006 से राज्यसभा के सदस्य हैं। 2018 में उन्हें तीसरी बार राज्यसभा के लिए चुना गया और 2021 में केंद्रीय मंत्री बनाया गया। उनका पैतृक घर त्रिशूर जिले में है, हालांकि उनका जन्म अहमदाबाद में हुआ था।
शशि थरूर ने करीब 29 साल तक UN में काम कर चुके हैं। भारत सरकार ने शशि का नाम UN महासचिव पद के लिए रखा था। चुनाव में वे दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद उन्होंने UN से इस्तीफा दे दिया और 2009 में राजनीति में आ गए। वे मनमोहन सिंह सरकार में विदेश राज्य मंत्री और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रहे हैं।
3. कोटा, राजस्थान
कोटा से भाजपा के उम्मीदवार 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला हैं। वे पिछले दो बार से जीत रहे हैं। इससे पहले कोटा दक्षिण से तीन बार विधायक भी रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने दो बार भाजपा विधायक रहे प्रह्लाद गुंजल को उतारा है। वे 21 मार्च को ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। वसुंधरा राजे के करीबी गुंजल कोटा-बूंदी, भीलवाड़ा, टोंक-सवाई माधोपुर से टिकट मांग रहे थे। टिकट न मिलने पर वे कांग्रेस में आ गए।
4. जोधपुर, राजस्थान
भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह चुनाव मैदान में हैं। वे पिछले दो बार से जीतते आ रहे हैं। यहां की आठ विधानसभा सीटों में से सात पर भाजपा का कब्जा है। जोधपुर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह नगर है। वे यहां से पांच बार सांसद रहे हैं, लेकिन 2019 के चुनाव में उनके बेटे वैभव यहां से हार गए थे। कांग्रेस ने इस सीट पर करण सिंह उचियारड़ा को उतारा है। वे राज राजेश्वरी आशापूर्णा मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। वे जोधपुर बिल्डर्स एंड डेवलपर्स एसोसिशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
5. बाड़मेर, राजस्थान
बाड़मेर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी मैदान में हैं। वे 2019 में यहां से पहली बार संसद पहुंचे थे। वहीं, कांग्रेस ने उम्मेद राम बेनीवाल को टिकट दिया है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) प्रमुख हनुमान बेनीवाल के करीबी रहे उम्मेद राम बेनीवाल करीब 1 महीने पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं। तीसरी ओर रविंद्र सिंह भाटी भी निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं।
6. मेरठ, उत्तर प्रदेश
भाजपा ने मेरठ सीट से अरुण गोविल को मैदान में उतारा है। ‘रामायण’ सीरियल में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अरुण को तीन बार से सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काट कर प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं, सपा की ओर से सुनीता वर्मा को मैदान में उतारा गया है। वे पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी हैं। दो बार टिकट बदलने के बाद सपा ने इन्हें फाइनल किया। इनमें से एक सरधना से विधायक अतुल प्रधान नामांकन तक दाखिल कर चुके थे। नामांकन के आखिरी दिन टिकट बदलकर सुनीता को दिया गया।
7. मथुरा, उत्तर प्रदेश
मथुरा से दो बार की सांसद और प्रसिद्ध अभिनेत्री हेमा मालिनी को भाजपा ने तीसरी बार टिकट दिया है। स्थानीय संगठन और जनता की नाराजगी के बावजूद पार्टी ने यह कदम उठाया है। वहीं, बसपा ने कमलकांत उपमन्यु का टिकट बदलकर सुरेश सिंह को टिकट दिया है। सुरेश जांच एजेंसी ED के डिप्टी डायरेक्टर रह चुके हैं और कुछ दिन CBI में भी तैनात रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में काफी मजबूत पकड़ रही है। विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष रहे सुरेश 2014 से ही भाजपा का टिकट मांग रहे थे। 2014 के चुनाव में उनकी टिकट कट गई थी।
8. राजनांदगांव, छत्तीसगढ़
इस सीट पर 1999 से ही भाजपा का कब्जा है। सिर्फ 2007 में उपचुनाव के बाद कांग्रेस के देवव्रत सिंह 2 साल सांसद रहे। कांग्रेस ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को यहां से उतारा है। यूथ कांग्रेस से राजनीति शुरू करने वाले भूपेश पाटन से पांच बार के विधायक हैं। वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं।
वहीं, भाजपा ने वर्तमान सांसद संतोष पांडे को दोबारा टिकट दिया हैे। 2019 में इन्हें पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे और तत्कालीन सांसद अभिषेक सिंह का टिकट काटकर मौका दिया गया था।
9. टीकमगढ़, मध्य प्रदेश
भाजपा ने टीकमगढ़ से केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक को उतारा है। वे छह बार सांसद रह चुके हैं। 2009 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई सीट पर खटीक लगातार जीतते आ रहे हैं। यह सीट बुंदेलखंड में आती है और पूरे टीकमगढ़, निमाड़ जिले समेत छतरपुर का भी कुछ हिस्सा आता है।
कांग्रेस ने यहां से पंकज अहिरवार को उतारा है। वे एससी मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं। 2023 विधानसभा चुनाव में उन्होंने जतारा से टिकट मांगा था लेकिन कांग्रेस ने किरण अहिरवार पर भरोसा जताया था। इसके चलते नाराज चल रहे पंकज को पार्टी ने बड़ा मौका दिया है।
10. पूर्णिया, बिहार
बिहार की इस सीट पर कांग्रेस में अपनी पार्टी विलय कर चुके राजेश रंजन यानी पप्पू यादव निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। कारण यह है कि ये सीट गठबंधन के तहत लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के खाते में चली गई। दूसरी तरफ RJD ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) छोड़कर आईं बीमा भारती को मैदान में उतारा है। वहीं, NDA खेमे से JDU ने दो बार से जीत रहे सांसद संतोष कुमार कुशवाहा फिर से टिकट दिया है।
11. मांड्या, कर्नाटक
कर्नाटक में जनता दल सेक्युलर (JDS) के साथ भाजपा गठबंधन में है। यह सीट JDS के खाते में गई है। लिहाजा JDS के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 में इसी सीट से उनके बेटे निखिल कुमारस्वामी चुनाव हार गए थे। तब भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुमालाथा ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने यहां से वेंकटरमणे गौड़ा (स्टार चंद्रू) को टिकट दिया है। वे पेशे से कॉन्ट्रैक्टर हैं और दूसरे चरण के चुनाव में सबसे अमीर प्रत्याशी हैं। उनके भाई गौरीबिदानूर सीट से निर्दलीय विधायक हैं।
12. बेंगलुरु उत्तर, कर्नाटक
इस सीट से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और मोदी सरकार में मंत्री रहे डी.वी. सदानंद गौड़ा सांसद हैं। भाजपा ने उनका टिकट काटकर केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे को मैदान में उतारा है। शोभा पिछले दो चुनाव उडुपी-चिकमंगलूर लोकसभा सीट से जीत रही हैं। वहीं, कांग्रेस ने IIM बेंगलुरु में प्रोफेसर रहे एम.वी. राजीव गौड़ा को उतारा है। उनके पिता राज्य विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं। वे भी 2014-2020 के बीच राज्यसभा के सदस्य रहे हैं।
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