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नगर निगम आगरा
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा में यमुना में सीवर की गंदगी डालने के कारण मछलियों के मरने और प्रदूषण फैलाने पर आगरा नगर निगम पर 58.39 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ की याचिका पर यह आदेश जारी किया है। मथुरा नगर निगम पर भी यमुना में प्रदूषण फैलाने पर 7.20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसे तीन माह में यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) पर जमा करना होगा।
चिकित्सक डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ की याचिका पर प्रिंसिपल बेंच के चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल, एक्सपर्ट मेंबर सेंथिल वी ने बुधवार को आदेश दिया। इसमें आगरा नगर निगम और मथुरा नगर निगम पर प्रदूषण मामले में 288 दिनों के लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति जमा करने का आदेश दिया है। यह तीन माह में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा करना होगा। एनजीटी बेंच ने आदेश में कहा है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जल अधिनियम 1974 की धारा 24 के साथ धारा 43, और नदी गंगा आदेश 2016 के साथ ईपी अधिनियम 1986 की धारा 15,16,17 और 19 के तहत अपराध करने पर दंडात्मक कार्रवाई भी करेगा।
जुर्माने की राशि का उपयोग आगरा, मथुरा और वृंदावन में पर्यावरण सुधार के लिए कायाकल्प योजना के आधार पर किया जाएगा। इसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित जिले के डीएम की एक कमेटी बनाई जाएगी।
जहरीले पानी से मर गईं थीं मछलियां
डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने अपनी याचिका में कहा था कि यमुना नदी का पानी सीवर और केमिकल के मिलने से जहरीला हो गया, जिससे यमुना नदी में जलीय जीवन प्रभावित हुआ है। यमुना नदी के तल में भारी मात्रा में सिल्ट जमा है। इस सिल्ट में पनप रहे कीड़ों के कारण ताजमहल पर गोल्डी काइरोनोमस कीड़े संगमरमर की दीवारों को काला और हरा कर रहे हैं। उन्होंने 16 नवंबर 2021 और 22 जुलाई 2021 को यमुना में मरी हजारों मछलियों का ब्योरा दिया। इसकी रिपोर्ट में पाया गया कि पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से मछलियों की मौत हुई थी।
नाले में बदल गई नदी
याचिका में कहा गया कि आगरा में वाटरवर्क्स के पास घुलनशील ऑक्सीजन निर्धारित मानक से नीचे है जो जलचरों के जीवन के लिए खतरनाक है, वहीं सीपीसीपी की रिपोर्ट में कई जगह यह शून्य तक पहुंच गया। पानी की गुणवत्ता यहां ई श्रेणी में पाई गई, जो केवल मनोरंजन और औद्योगिक शीतलन के लिए इस्तेमाल हो सकता है। सिंचाई और नहाने के लिए भी इसका प्रयोग नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में यमुना नदी नाले में बदल गई है। विशेषज्ञों की रिपोर्ट में भी यही स्थिति पाई गई है।
52 नाले सीधे यमुना में गिर रहे
याचिका में कहा गया है कि औद्योगिक अपशिष्ट और सीवर के साथ शहर के 52 नाले सीधे यमुना नदी में गिर रहे हैं। इससे यमुना नदी के पानी में ठहराव है, जिससे जो मछलियां लार्वा खाकर कीड़ाें की आबादी रोकती थीं, वह मर रही हैं। इससे नदी का पारिस्थितिक संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। समितियों ने यमुना नदी की ड्रेजिंग और डिसिल्टिंग की सिफारिश की है ताकि कीचड़ में पनप रहे गोल्डी काइरोनोमस जैसे कीड़ों का ताजमहल पर हमला रोका जा सके।
23 फरवरी से 7 दिसंबर तक जुर्माना
एनजीटी ने आगरा नगर निगम पर यमुना नदी में 65.25 एमएलडी सीवर 23 फरवरी से 7 दिसंबर 2023 की अवधि में जाने के लिए 58.39 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एक पैसा प्रति लीटर का जुर्माना एनजीटी ने तय किया है। 9 एसटीपी पर 45.75 एमएलडी सीवर जाने पर भी जुर्माना लगा है। एनजीटी याचिकाकर्ता डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ ने कहा कि यमुना नदी को नाला बनाकर रख दिया गया है। जिन विभागों की प्रदूषण रोकने, सफाई की जिम्मेदारी है, वह निष्क्रिय हैं। एनजीटी ने जुर्माना लगाकर आंखें खोलने वाला आदेश दिया है। उम्मीद है अधिकारी इससे सबक लेंगे और कुछ सुधार के उपाय करेंगे।
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