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नई दिल्ली. अनुभवी कलाकार मकरंद देशपांडे की अपकमिंग फिल्म ‘रजाकार : द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ हैदराबाद ’ है. इसमें वह हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान की भूमिका में हैं. फिल्म में निजाम को देश की आजादी के फौरन बाद अत्याचारी शासक के तौर पर दिखाया गया है, जिसकी ख्वाहिश हैदराबाद को भारत में विलय नहीं होने देना है. उसकी खातिर उनके शासनकाल में रजाकारों ने जनता पर जुल्मों सितम ढाए थे और हिंदुओं के नरसंहार किए थे.
‘रजाकार’ एक फारसी शब्द है जिसका अर्थ स्वयंसेवक होता है. फिल्म में रजाकारों के प्रमुख का रोल राज अर्जुन ने प्ले किया है. मेकर्स का दावा है कि रजाकार के तौर पर उन्हें जुल्मों-सितम ढाने के लिए निजाम का फ्री हैंड मिला हुआ था. मकरंद के मुताबिक, ‘फिल्म में ऐसी कहानी है, जो बेरहम हकीकत को दिखाती है. देखा जाए तो इतिहास सदा ऐसी क्रूरताओं का गवाह रहा है. ज्यादातर देशों का इतिहास रक्त रंजित रहा है’.
मकरंद देशपांडे आगे कहते हैं, ‘साइंस का भी देखा जाए तो उसकी तकनीक का इस्तेमाल शुरू में वॉर के लिए होता रहा. बाद में उसका इस्तेमाल एनर्जी में हुआ. जैसे ऐटम बम बना तो उसका यूज पहले वॉर में हुआ, फिर बाद में एनर्जी जेनरेट होने के लिए होता रहा. हमारी फिल्म में भी वॉर, सरवाइवल, धर्म के चलते क्रूर वाकये हुए, पर फिल्म में सिर्फ हिंदुओं के ही नरसंहार नहीं दिखाए गए हैं’.
फिल्म के दूसरे हाफ से दिलचस्प होगी कहानी
एक्टर के मुताबिक फिल्म में वैसे मुस्लिमों के भी हाथ काटते दिखाए गए, जो अगर रजाकारों के खिलाफ थे, तो यह किसी मजहब के खिलाफ वाली फिल्म नहीं है. मकरंद का दावा है कि फिल्म के फर्स्ट हाफ में शायद कहानी एंटी मुस्लिम लगे, मगर दूसरे हाफ में लगेगा कि कहानी तो अत्याचारियों की है, जिनका कोई मजहब नहीं होता’.
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Tags: Bollywood film, Entertainment news.
FIRST PUBLISHED : April 23, 2024, 19:43 IST
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