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Gyanvapi Case
– फोटो : अमर उजाला
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सिविल जज सीनियर डिवीजन / फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रशांत सिंह की अदालत में शनिवार को ज्ञानवापी में उर्स सहित अन्य धार्मिक आयोजनों की मांग से संबंधित प्रकरण की सुनवाई टल गई। अब नौ मई को सुनवाई होगी। इस मामले राखी सिंह की ओर पक्षकार बनाने की मांग पहले से लंबित है। जुलाई 2022 में लोहता क्षेत्र के मुख्तार अहमद समेत चार लोगों ने अदालत में वाद दाखिल कर ज्ञानवापी के मजार पर उर्स समेत अन्य धार्मिक कार्यों की अनुमति मांगी है। वादी की ओर से यह भी मांग की गई है कि अदालत जिला पुलिस-प्रशासन को निर्देश दे कि धार्मिक आयोजन करने से न रोका जाए।
लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ केस की सुनवाई 26 अप्रैल को
सिविल जज सीनियर डिवीजन / फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रशांत सिंह की अदालत में शनिवार को प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के वाद में पक्षकार बनने की अर्जी पर सुनवाई हुई। वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थना पत्र पर अपनी बहस पूरी कर ली है। पक्षकार बनने की मांग करने वाले मुख्तार अहमद की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए 26 अप्रैल की तिथि नियत की गई है।
कोर्ट में वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने दलील दी कि मुख्तार अहमद की ओर से पक्षकार बनने की जो अर्जी दी गई है, उसमें कहा गया है कि ज्ञानवापी में मस्जिद और कब्र दोनों है। वह बचपन से अपने पिता के साथ वहां फातिहा और नमाज पढ़ने जाते थे। जबकि, दीनबंधु वाले प्रकरण में कोर्ट ने निर्णय में कहा है कि वहां 1904 के बाद से कभी फातिहा नहीं पढ़ी गई।
मुख्तार का घर लोहता क्षेत्र में है और वो अपने पिता के साथ ज्ञानवापी जाते थे। दोनों स्थान के बीच में कई मस्जिद है, वहां नमाज नहीं पढ़ते थे, उनका कथन सरासर गलत है। वाद मित्र की ओर से रामजन्म भूमि के निर्णय का हवाला दिया गया। कहा गया कि जहां मंदिर होता है वहां मस्जिद नहीं होती है। जहां मस्जिद होती है, वहां मंदिर नहीं होता है। इसलिए मुख्तार की पक्षकार बनाने की मांग खारिज होने योग्य है।
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