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भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग आयुष मंत्रालय भारत सरकार- एनसीआईएसएम ने कहा कि देशभर के आयुर्वेद, सिद्धा व यूनानी मेडिकल कॉलेजों के तहत सत्र 2024-25 में स्नातक व स्नातकोत्तर डिग्री में काउंसलिंग में वे ही संस्थान शामिल होंगे जिन्हें एनसीआईएसएम
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शिक्षा सत्र 2024-25 में स्नातक व स्नातकोत्तर कोर्सेज में कोर्ट के अंतरिम आदेशों से आवंटित सीटों पर प्रवेश लेने वाले स्टूडेंट्स अंतिम निर्णय तक एग्जाम नहीं दे पाएंगे। इसके संबंध में भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग आयुष मंत्रालय (एनसीआईएसएम) ने स्पेशल एडवाइजरी जारी की है। एनसीआईएसएम के निर्देशों के तहत कॉलेजों को प्रवेश में पारदर्शिता के तहत वेबसाइट पर मान्यता पत्र, आवंटित सीटों के साथ ही कोर्ट आदेशों से आवंटित सीटों के संबंध में जानकारी भी अपडेट करनी होगी।
एनसीआईएसएम नईदिल्ली के सचिव डॉ सच्चिदानंद प्रसाद ने एडवाजरी में स्पष्ट किया है कि आयुर्वेद, सिद्धा व यूनानी मेडिकल कॉलेजों के तहत सत्र 2024-25 में स्नातक व स्नातकोत्तर डिग्री कोर्सेज की प्रवेश काउंसलिंग में वे ही संस्थान शामिल होंगे, जिन्हें एनसीआईएसएम के तहत मेडिकल असेसमेंट एण्ड रेटिंग बोर्ड व एनसीआईएसएम नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त हो चुकी है। इसके अलावा देश के विभिन्न कोर्ट के अंतरिम आदेशों के तहत भी कॉलेजों को काउंसलिंग में शामिल किया जाएगा।
एग्जाम नहीं, अंडरटेकिंग लेंगे
एनसीआईएसएम ने एडवाइजरी में देशभर के आयुष डॉयरेक्टर्स, प्रिंसिपल्स, डीन तथा समस्त विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को पत्र जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि न्यायालयीन अंतरिम आदेश के तहत आयुर्वेद, सिद्धा, यूनानी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेशित स्टूडेंट्स का भविष्य अंतिम निर्णय पर टिका रहेगा।
छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति विश्वविद्यालय नहीं देगा। इसमें तर्क दिया गया है कि कोर्ट का अंतिम निर्णय स्टूडेंट्स व कॉलेज के विरुद्ध होता है तो स्टूडेंट्स का कॅरियर दांव पर लग सकता है। इन सीटों पर प्रवेश के समय भी स्टूडेंट्स व पैरेंट्स से एफीडेविट कम अंडरटेकिंग ली जाएगी। कॉलेजों को मान्यता पत्र, कोर्ट के प्रवेश संबंधी आदेश, कोर्ट के निर्णय, विवि के सहमति पत्र आदि की जानकारी अपडेट करनी होगी।
इस संबंध में आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय ने कहा कि एनसीआईएसएम नईदिल्ली द्वारा आयुष मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश काउंसलिंग को लेकर पारदर्शिता है और छात्रों व संस्थानों को हिदायत देना उचित कदम है।
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