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देवउठनी ग्यारस के पावन अवसर पर भोपाल के संत हिरदाराम नगर स्थित विश्रामघाट (श्मशानघाट) में सिंधी समाज की महिलाओं ने अनूठी सत्संग परंपरा का आयोजन किया। यह परंपरा करीब चार दशकों पुरानी है, जिसमें हर साल महिलाएं भजन-कीर्तन के साथ संतनगर की परिक्रमा करती
.
सत्संग के दौरान स्वामी टेऊराम के आदेश पर दादी विद्यादेवी ने कहा कि “धरती पर हम सभी मुसाफिर हैं और हमें एक न एक दिन ईश्वर के घर जाना ही है। श्मशान घाट ईश्वर के घर पहुंचने का एकमात्र द्वार है।” इस मौके पर उन्होंने बताया कि यह आयोजन महिलाओं को अंतकाल की सत्यता से अवगत कराने के लिए किया जाता है, ताकि वे जीवन के इस महत्वपूर्ण सत्य को समझ सकें।
मन का डर मिटाने के लिए आयोजन
टेऊराम आश्रम के दयाल तोलानी ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं के मन का डर मिटाना और जीवन के अंतिम समय की तैयारी के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस आयोजन के दौरान, स्वामी शांति प्रकाश चौराहे पर विशेष पूजा अर्चना और आरती की गई। मुंबई से गद्दीनशीन स्वामी देवप्रकाशजी ने इस अवसर पर अरदास और पल्लव किया।
बच्चों ने भी लिया भाग
सत्संग में बच्चों की भी विशेष उपस्थिति रही। महिलाओं का कहना है कि इस कार्यक्रम से उन्हें शांति और आत्मसुख की अनुभूति होती है, और इसीलिए वे अपने बच्चों को भी इस पवित्र अवसर पर साथ लाती हैं। उनका कहना है कि श्मशान में भजन-कीर्तन करने से उन्हें कोई डर नहीं लगता, बल्कि यह एक विश्राम का अनुभव होता है।
सिंधी पंचायत के प्रमुख सदस्य भी शामिल
इस अवसर पर पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष माधु चांदवानी, महासचिव नंदलाल दादलानी, महेश खटवानी, मदन साधवानी, मुरली वासवानी, दयाल गोकलानी, दिलीप खुशलानी, नीलेश गंगवानी, और अनिल सदारंगानी सहित अन्य समाजसेवी भी उपस्थित थे, जिन्होंने इस विशेष आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया।
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