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जिला मजिस्ट्रेट निशांत कुमार यादव
चंडीगढ़ शहर में बढ़ती साइबर कैफे गतिविधियों और संभावित सुरक्षा खतरों को देखते हुए, जिला मजिस्ट्रेट निशांत कुमार यादव ने साइबर कैफे संचालकों के लिए नए सख्त निर्देश जारी किए हैं। इन आदेशों का पालन सभी साइबर कैफे मालिकों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है,
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आदेश का उद्देश्य और कारण जिला मजिस्ट्रेट के अनुसार, कई असामाजिक तत्व और अपराधी साइबर कैफे का उपयोग अपनी पहचान छिपाकर गतिविधियों को अंजाम देने और राज्य की सुरक्षा को खतरे में डालने का प्रयास कर सकते हैं। इसलिए, इन गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए और राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह आदेश जारी किया गया है।
साइबर कैफे संचालकों के लिए निर्देश
1. पहचान अनिवार्य: साइबर कैफे का उपयोग केवल उन्हीं लोगों द्वारा किया जा सकता है जिनकी पहचान कैफे मालिक ने स्पष्ट रूप से की हो। अनजान व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है।
2. रजिस्टर में प्रविष्टि: सभी आगंतुकों को नाम, पता, टेलीफोन नंबर और पहचान प्रमाण के साथ रजिस्टर में प्रविष्टि करनी होगी और हस्ताक्षर भी करना होगा।
3. पहचान प्रमाण: आगंतुक की पहचान के लिए पहचान पत्र, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट या फोटो क्रेडिट कार्ड का उपयोग किया जाएगा।
4. सर्वर लॉग का रिकॉर्ड: मुख्य सर्वर में गतिविधि लॉग को संरक्षित करना और इसका रिकॉर्ड कम से कम छह महीने तक रखना अनिवार्य है।
5. संदिग्ध गतिविधि की सूचना: यदि किसी आगंतुक की गतिविधि संदिग्ध पाई जाती है, तो साइबर कैफे मालिक को तत्काल नजदीकी पुलिस स्टेशन को सूचित करना होगा।
6. कंप्यूटर उपयोग का रिकॉर्ड: प्रत्येक आगंतुक द्वारा उपयोग किए गए कंप्यूटर का रिकॉर्ड भी रखना अनिवार्य होगा।
आदेश की अवधि और पालन की समय सीमा यह आदेश 11 नवंबर, 2024 से लागू होकर 9 जनवरी, 2025 तक प्रभावी रहेगा। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 और अन्य संबंधित प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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