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हरदुआगंज स्थित बियर फैक्ट्री के पास काली नदी
– फोटो : संवाद
विस्तार
कभी काली नदी का पानी पीने के काम में आता था। किसान सिंचाई करते थे। लोग कपड़े धोते थे। लेकिन आज इस नदी का पानी छूने काबिल भी नहीं रह गया है। पूरी तरह काला हो चुका है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के मुताबिक इस समय इस नदी का ऑक्सीजन स्तर शून्य है। इससे जलीय जीवों पर भी संकट है। मुजफ्फरनगर के गांव अंतवाड़ा से निकली यह नदी कन्नौज में जाकर गंगा में मिलती है। इस नदी के पानी से गंगा भी दूषित हो रही है।
काली नदी का मार्ग
यह नदी मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, एटा, फर्रुखाबाद होते हुए कन्नौज में गंगा में जाकर मिलती है। इस बीच न जाने कितने नालों और साै से अधिक फैक्टरियों का दूषित पानी इस नदी में गिरता है। इसके दूषित पानी के कारण आसपास के कई गांवों में पीने का पानी तक खराब हो चुका है। कई गांवों में इस पानी से बीमारी फैल रही है।
जिले के 12 गांव से गुजरती है काली नदी
काली नदी गाजीपुर, ग्वालरा, भवनगढ़ी, चेढ़ौली, खेड़ा, कलाई, मीरपुर का नगला, सिल्ला, विसावलपुर, बरानदी, धरमपुर का नगला और पौथी से होकर गुजरती है।
ये थीं नदियां
अलीगढ़ में गंगा, युमना, करबन, सेंगर, छोइया, नीम, रुतबा, सिरसा, बड़गंगा और काली नदी थीं।
ये नदियां हुईं विलुप्त
बड़गंगा, सिरसा, रुतबा, सेंगर व छोइया नदी अब विलुप्त हो चुकी हैं।
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