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जवाहर कला केन्द्र के साउथ विंग में सिल्क एंड हैंडीक्राफ्ट फेयर का आयोजन किया जा रहा है।
जवाहर कला केन्द्र के साउथ विंग में सिल्क एंड हैंडीक्राफ्ट फेयर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें देशभर के हस्तशिल्पियों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए है। इसमें अवॉर्ड विनिंग आर्टिजन की कलाकृतियों को भी डिस्प्ले किया गया है। शहर में आर्ट एंड क्राफ्ट के प्
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फेयर में जहां सीक्वेंस वर्क, डिटिजल प्रिंट, थ्रेड वर्क, रेशम वर्क के साथ स्टोल और शॉल की रेंज कश्मीर के अलग-अलग आर्टिजन्स की ओर से लाया गया है।
आयोजक अविनाश शर्मा ने बताया कि जम्मू कश्मीर के आर्टिजन्स ने सीक्वेंस वर्क के साथ ब्राइडल स्टोल, ब्राइडल शॉल, कश्मीरी सिल्क पर थ्रेड और जरी वर्क के साथ कुर्ती, वुलेन साड़ी, पोंचू, शार्ट जैकेट, पशमीना विद नेट, पशमीना विद फेदर, एंब्रायडरी स्टोल को एग्जीबिट किया है। ये विंटर सीजन में लोगों को फैशन ट्रेंड के अच्छे ऑप्शन दे रहे हैं। फेयर में देश के विभिन्न अंचलों एवं राज्यों के हस्तशिल्पी की स्टॉल्स लगाई गई है। इन स्टॉल्स पर विभिन्न प्रकार के हस्तकला, हस्तशिल्प सहित अनेक कलात्मक उत्पाद उचित मूल्यों पर बिक्री के लिए उपलब्ध है।
फेयर में देश के विभिन्न अंचलों एवं राज्यों के हस्तशिल्पी की स्टॉल्स लगाई गई है।
जम्मू कश्मीर के शिल्पकार आरिफ युसूफ ने बताया कि पश्मीना कानी शॉल को बनाने में छह साल का समय लग जाता है। इस शॉल की कीमत लाखें रुपए तक होती है। कानी शॉल को वैराइटी के हिसाब से पांच या छह माह में भी तैयार किया जा सकता है। जयपुर में याक के वूल से बने शॉल, जैकेट, गर्म सूट की रेंज को लेकर आए हैं। याक वूल काफी गर्म होता है। जो ज्यादा सर्दी में काम आता है। कश्मीरी कलाकार कढ़ाई और रंगाई करते हैं। उसे बाजार में उतारा जाता है ।
बनारस के इश्तियाक अहमद ने बताया कि ब्राइडल रेंज को एग्जीबिट किया है। जिसमें रेड -ग्रीन,यलो -रेड,रेड ब्लू जैसे कलर कॉम्बिनेशन में बनाई गई बनारसी सिल्क साड़ियां शामिल है। इनकी कीमत डेढ़ लाख रुपए है। जंगला बनारसी साड़ी की खासियत है कि इन्हें प्योर सिल्क फैब्रिक पर तैयार किया जाता है। ताना और बाना दोनों ही सिल्क के रेशे के होते हैं। इनपर मुगल आर्ट वर्क किया है है ।करीब 200 साल पुरानी डिजाइन को इन बनारसी साडिय़ों पर उकेरा गया है। एक साड़ी को बनाने में 6 महीने का समय लगता है। एक साड़ी को 30 से 40 कारीगर मिलकर तैयार करते हैं। साड़ी में हर कारीगर की अलग-अलग कारीगरी होती है। ऊपर और नीचे के बॉर्डर पर क्राफ्टिंग अलग-अलग कारीगरों की ओर से तैयार की जाती है।
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