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– फोटो : अमर उजाला
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करहल में चुनावी रण सज चुका है। हर प्रत्याशी मानो अपने तरकश के सारे तीर चला देने को आतुर है। सपा के गढ़ में पार्टी के प्रत्याशी तेज प्रताप सिंह यादव को उनके फूफा अनुजेश सिंह यादव से ही चुनौती मिल रही है। सपा और भाजपा के बीच यहां लड़ाई है तो सिर्फ जीत-हार का अंतर कम करने की। परिणाम क्या रहेगा? चुनाव आयोग 23 नवंबर को बताएगा, लेकिन अधिकतर मतदाताओं के लिए अभी से तस्वीर स्पष्ट है।
हम रविवार को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के रास्ते लखनऊ से ढाई घंटे का सफर तय करके सीधे करहल कस्बे में पहुंचे। कस्बे को दो हिस्सों में बांटती हुई फोरलेन सड़क जहां विकास की गाथा सुना रही है, वहीं स्थानीय बाशिंदों में उससे पैदा हुए आत्मविश्वास की झलक भी मिलती है।
यहां मिले विमल चतुर्वेदी काफी मुखर मतदाता हैं। कहते हैं- करहल इस बार गुलामी की जंजीरों से मुक्त होने की तैयारी कर रहा है। सपा ने अभी भाई को टिकट दिया है, फिर बेटी को यहां से लड़ाएगी। ऐसे तो अन्य लोगों को मौका ही नहीं मिलेगा।
प्रवीन राठौर और निजामुद्दीन उनसे (विमल से) इत्तेफाक नहीं रखते। उनका मानना है कि यहां इतिहास ही दोहराया जाएगा। वर्ष 2002 के बाद हुए चुनावों में यहां से सपा ही लगातार जीत रही है। 2002 में भाजपा के टिकट पर सोबरन सिंह जीते थे।
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