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देशभर में में देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह) धूमधाम से मनाया जाएगा। ऐसे में भिंड के मुख्य बाजारों में पूजा सामग्री और गन्ने की खरीदारी के लिए सुबह से ही लोगों की भीड़ उमड़ी पड़ी है। एक दिन पहले भी लोगों ने इनकी खरीदी की।
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पूजन सामग्री और गन्ने की खरीदारी पर उत्साह
बाजारों में देवउठानी एकादशी के लिए आवश्यक पूजन सामग्री की दुकानों पर रौनक है। गन्ने, हल्दी, सुपारी, और तुलसी के पौधे की मांग में बढ़ोतरी हुई है। देर शाम भी भक्तों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार सामग्री खरीदी और गन्ने की भी जमकर बिक्री हुई। शहर के प्रमुख स्थलों पर दुकानें सजीं थीं, जहां लोग तुलसी विवाह के लिए आवश्यक सामान की खरीदारी करते नजर आए।
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
पं. गोपालदास महाराज के अनुसार, पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर की शाम 6:46 बजे से शुरू होगी और 12 नवंबर की शाम 4:04 बजे समाप्त होगी। उदयव्यापिनी एकादशी होने के कारण इस पर्व को 12 नवंबर को ही मनाया जाएगा। इसी दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाएगा। तुलसी विवाह के लिए प्रदोष काल में शाम 5:29 से शाम 7:53 तक का समय सबसे शुभ माना गया है।
धार्मिक मान्यता और महत्व
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चार महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु इसी दिन जागते हैं, और सभी देवी-देवता मिलकर उनकी पूजा करते हैं। भगवान के जागते ही चार महीने से रुके हुए सभी मांगलिक कार्यों का आरंभ हो जाते हैं। इस दिन भगवान शालिग्राम के साथ तुलसी का विवाह किया जाता है।
ऐसा मानते हैं कि इससे वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है और जो लोग विवाह में बाधाओं का सामना कर रहे होते हैं, उनकी समस्याएं भी दूर होती हैं। शास्त्रों में तुलसी-शालिग्राम के विवाह का महत्व कन्यादान के बराबर बताया गया है। जिन लोगों के विवाह में अड़चनें आती हैं या फिर विवाह संबंध टूटते रहते हैं, उनके लिए तुलसी विवाह का आयोजन शुभ फलदायक माना गया है।
बाजार में गन्ने की मांग बढ़ी।
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