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सरकार के स्वागत में जुटे सत्ताधारी दल के दो विधायक आपस में ही उलझ गए। मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन करने पहुंचे सरकार का हेलीपैड पर स्वागत करने आए नेताओं की एंट्री को लेकर दोनों के बीच कहासुनी हो गई।
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लोकल एमएलए ने पड़ोसी सीट के विधायक जो पहले मंत्री रह चुके हैं…से कहा– आपके इलाके तक ठीक हैं, लेकिन यहां इंटरफेयर क्यों? ये सुनकर दूसरे विधायकजी बोले- आप मेरे से प्रेम से बात करना। इतना सुनते ही लोकल एमएलए ने भी कह दिया आप मुझसे भी प्रेम से बात करना। ये सुनकर एक्स मिनिस्टर साहब ने कह दिया-मैं बात ही नहीं करूंगा।
बस ! एक कुर्सी दे दो सरकार.. कोरोना संकट से उबरने के बाद बीजेपी ने सदस्यता अभियान चलाया और अब संगठन के चुनाव होने जा रहे हैं। मप्र में भी बूथ समितियों से लेकर मंडल, जिला अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है। कई नेता ऐसे हैं जो लंबे समय से निगम, मंडल, प्राधिकरण और आयोगों में एडजस्ट होने के लिए जुगत लगा रहे थे, लेकिन प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के बाद कई नेताओं को अब भविष्य की चिंता सताने लगी है। ऐसे में अब वे मंत्री का दर्जा पाने से पहले जिले का मुखिया बनने का दांव भी खेलने की तैयारी कर रहे हैं। दो नावों की सवारी करने वाले दर्जन भर नेता भोपाल के चक्कर काट रहे हैं।
सरकार के घर बन रहा भव्य स्वागत द्वार बडे़ तालाब के किनारे पहाड़ी पर स्थित सरकार के घर भव्य स्वागत द्वार बन रहा है। एंट्री गेट को तोड़कर नया द्वार बनाया जा रहा है। खबर है कि इस प्रवेश द्वार में पारंपरिक और सांस्कृतिक झलक देखने को मिलेगी। इसके साथ ही यहां सिक्योरिटी चेक के लिए हाईटेक स्कैनर और वाहनों की जांच के लिए तमाम उपकरण लगाए जाएंगे। फिलहाल सरकार के घर में आने जाने के लिए एक ही गेट से आवाजाही हो रही है। पूर्व सीएस के पुनर्वास के लिए लंबा होता है इंतजार
एक महीने हो गए, जारी नहीं हो पाया पूर्व सीएस का आदेश विधानसभा चुनाव के दौरान सीनियरिटी क्रम में मुख्य सचिव बनने के बाद छह माह का एक्सटेंशन पाने वाली वीरा राणा का पुनर्वास आदेश अटक गया है। 1अक्टूबर को राज्य निर्वाचन आयोग में सचिव का पद संभालने की व्यवस्थाओं के बीच 30 सितंबर को आयोग में सचिव नियुक्त किए जाने का आदेश रुका तो अब तक रुका ही हुआ है। नए मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के बीच इसको लेकर सहमति नहीं बन पाई है और अब एक माह बीत गया है। आयोग के सचिव का पद 1 जुलाई से एक्सटेंशन पर चल रहा है। उधर, मंत्रालय के खबरी बताते हैं कि पूर्व सीएस जीएडी के अफसरों से इसको लेकर लगातार फीडबैक ले रही हैं।
सीएस बदले तो वर्किंग स्टाइल बदलने लगी मैडम पूर्व मुख्य सचिव के कार्यकाल में पावरफुल रही एक महिला कलेक्टर अब अपनी कार्यशैली बदल रही हैं। मुख्य सचिव के बदले जाने के बाद विवादों में रहने वाली राजधानी से सटे एक जिले की महिला कलेक्टर अब अपने मातहतों की बात भी सुनने लगी है। यही नहीं मीडिया से भी बोलचाल शुरू कर दी। इससे सबसे ज्यादा हैरत में उनके आसपास काम करने वाले अधिकारी कर्मचारी है। बताते हैं कि यह सब बदलाव उन्होंने फीडबैक मिलने के बाद किया है।
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आईएएस मैडम और टीआई में विवाद, बीच में आईं कलेक्टर
एमपी के एक आदिवासी जिले में आईएएस मैडम और टीआई के बीच का हाई प्रोफाइल विवाद प्रशासनिक और पुलिस गलियारों में गूंज रहा है। बात इतनी बढ़ गई कि 2022 बैच की आईएएस मैडम ने टीआई को न केवल नोटिस जारी किया, बल्कि कलेक्टर को शिकायत भी कर दी। अब एसीएस साहब की जगह ‘सरकार’ के करीबी अफसर ने ले ली है। साहब जिस पोस्ट पर आए है, उसके पहले वहां से एसीएस और पीएस दोनों की विदाई हो गई।पढ़ें पूरी खबर…
दो दलों के बीच झूल रहा विधायक मैडम का दिल
सूबे की एक विधायक ऐसी हैं, जिनका ये तय नहीं हो पा रहा है कि वे किस पार्टी की विधायक हैं। उन्होंने जिस मुद्दे को लेकर पार्टी बदली वो सरकार ने अटका दिया। मैडम ने जिस मुद्दे को लेकर अपने क्षेत्र की पब्लिक से कहा कि उन्होंने इस वजह से पार्टी बदली, फिलहाल वह होना मुश्किल दिख रहा है। ऐसे में एमएलए मैडम की हालत कुछ ऐसी हो गई है-न खुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम , न इधर के हुए न उधर के हुए। रहे दिल में हमारे ये रंज-ओ-अलम, न इधर के हुए न उधर के हुए। पढ़ें पूरी खबर…
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