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वन विभाग की रिपोर्ट– प्रथमदृष्टया फंगस लगे कोदो खाने से गई थी हाथियों की जान
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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा। दीपावली के दिन दो और जंगली हाथियों ने दम तोड़ दिया। अब तक 10 जंगली हाथियों की मौत हो चुकी है। इनमें से 9 मादाएं हैं। पोस्टमार्टम के दौरान पता चला है कि दो हथनियां गर्भवती थीं। जहर के कारण गर्भ में ही हाथियों के भ्रूण की भी मौत हो गई है। इधर, स्वस्थ पाए गए 3 हाथियों को जंगल में छोड़कर गश्ती दल से निगरानी कराई जा रही है।
आज दो मंत्री, एसीएस जाएंगे बांधवगढ़, सीएम को देंगे रिपोर्ट
- बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर प्रकाश वर्मा ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद प्रथमदृष्टया फंगस लगे कोदो खाने से मौत होने का अंदेशा है। वर्मा के अनुसार, कोदो में लगने वाली फंगस में माइक्रो टॉक्सिन होता है। पोस्टमार्टम के दौरान सभी हाथियों के पेट में काफी मात्रा में कोदो मिला है। देश में पूर्व में भी हाथियों को कोदो खाने से बीमार पड़ने और मौत की जानकारी पता चली है। ग्रामीणों ने कोदो खाने से पूर्व में कुछ गाय व भैंसों की मौत होने की जानकारी दी है।
- 30 जुलाई को जिन 4 हाथियों का पोस्टमार्टम किया गया था, उनके सैंपल में विषाक्तता की पुष्टि जबलपुर के स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेसिंक एंड हेल्थ ने की है।
- वहीं, शुक्रवार को सीएम डॉ. मोहन यादव ने बैठक ली। इसमें उन्होंने रिपोर्ट पर ही सवाल उठा दिए। सीएम ने कहा- ‘कोदो खाने से हाथी मरे, ये मैंने पहले कभी नहीं सुना। तीन दिन हो गए, वैज्ञानिक अभी तक कारण नहीं खोज पाए, यह बहुत दुखद है।’ इस बीच, प्रभारी मंत्री, वन राज्य मंत्री और एसीएस शनिवार को बांधवगढ़ जाएंगे। ये सारी स्थिति देखकर रिपोर्ट करेंगे।
जहर से मौत… पर कैसे? आज आ सकती है रिपोर्ट
एसआईटी के प्रमुख एपीसीसीएफ एल. कृष्णमूर्ति के मुताबिक, हाथियों के विसरा सैंपल इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली, स्टेट फारेंसिक लैब सागर, स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ जबलपुर भेजे हैं। तीनों संस्थानों से हिस्टोपैथोलॉजिकल, टॉक्सिकोलॉजिकल साइंटिफिक रिपोर्ट मिलने के बाद ही पता चल सकेगा कि हाथियों की मौत किस जहर से हुई है? बताया जा रहा है कि शनिवार शाम तक रिपोर्ट मिल सकती है।
इधर, 7.6 एकड़ में कोदो नष्ट, मिट्टी के सैंपल लिए
हाथियों ने जिन खेतों से कोदो खाया था, उसे नष्ट किया गया है। कुल 7.6 एकड़ की फसल नष्ट की गई।
5 किमी दायरे में कोदो, धान, हाथी के गोबर, जलस्रोतों से पानी, मिट्टी और फसल के सैंपल लिए गए हैं।
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