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प्रदेशभर में बेरोजगारों को मजबूत करने, कौशल प्रशिक्षण देने व पढ़ाई में आर्थिक मदद के लिए चलाई गई मुख्यमंत्री युवा संबल योजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। युवाओं को न रोजगार मिला और न ही कौशल व अनुभव। ई-मित्र संचालक से लेकर स्कूलों के प्रधानाध्याप
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भास्कर टीम ने पड़ताल की तो सामने आया कि ये योजना केवल राजस्व में सेंधमारी का पर्याय बन चुकी है। दरअसल, भ्रष्टाचार की ये चेन ई-मित्र से ही शुरू हो जाती है। ई-मित्र संचालक पहले 100 रुपए लेकर युवाओं से आवेदन करवाता है। जो पहली बार रिजेक्ट होता है। इसके बाद युवाओं को बार-बार घुमाया जाता है ताकि वो परेशान हो।
जब कोई रास्ता नहीं बचता तो उसे 2000 हजार रुपए में “सेटिंग’’ का लालच देकर अगले 24 घंटे में वेरिफाई करवा दिया जाता है। इसके बाद बिना इंटर्नशिप व चार घंटे ड्यूटी किए बिना ही बेरोजगार को यह राशि अगले 24 महीने तक सरकार द्वारा दिलवा दी जाती है। भास्कर टीम ने 30 से अधिक गांवों के 25 से ज्यादा स्कूलों में पड़ताल की तो चौंकाने वाली स्थिति सामने आई।
पेश है रिपोर्ट…सरपंच परिवार की पूजा, भूंडाराम, मोती जैसे युवा गड़बड़ी से ले रहे लाभ
भास्कर टीम को फिड़ौद में भैंस को पानी पिला रही पूजा जाखड़ मिली। उसने बताया कि भत्ते के लिए आवेदन तो एक साल पहले ही कर दिया था। अप्रूवल हुए एक महीना ही हुआ है। पूजा की बहन बिंदू सरपंच हैं। दोनों नारायण राम की पुत्रियां हैं। आवेदन में आय दो लाख ही बताई। कभी स्कूल में पढ़ाने नहीं गई मगर इंटर्नशिप हर महीने बन रही है। फिर गांव के ही मोतीराम मेघवाल के घर पहुंचे तो उनके पिता और पत्नी मिले।
मोतीराम नागौर में काम पर थे। जबकि ड्यूटी स्कूल में बताई जा रही है। इसी प्रकार जब टीम बिंठवाल पहुंची तो खेत में काम करते भुंडाराम मिले। कहा कि इंटर्नशिप अपलोड करते हुए 6 महीने हो चुके हैं। कभी स्कूल में सेवा देने नहीं गए। भूंडाराम ने कहा कि मास्टरजी उनकी इंटर्नशिप पर हस्ताक्षर नहीं करे तो स्कूल में रहना नहीं है क्या उनको? इसके अलावा टीम ने चूंटीसरा में पार्वती सिंवर, विजेंद्र पूनिया, हीरालाल को भी घर पर देखा। ऐसा हर स्कूल में चल रहा है।
ई-मित्र संचालक: आचार संहिता के बाद गारंटेड शुरू कर दूंगा
गोटन के ई-मित्र संचालक ने कहा कि आचार संहिता के बाद आवेदन को गारंटेड वेरिफाई करवा दूंगा। ग्रुप में मैसेज भी डाला कि कोई दिक्कत आ रही है तो संपर्क करके भत्ता शुरू करवा सकता है। साथ ही संखवास में गौरी ई-मित्र के संचालक भी गारंटी से बेरोजगारी भत्ता दिलाते हैं। रोचक बात यह है कि इनके गड़बड़ी को लेकर एक बार ई-मित्र आईडी ब्लॉक की जा चुकी है। मगर अब भाई के नाम से आईडी बनाकर फिर से गबन शुरू कर दिया है।
स्कूलों में नहीं देते ड्यूटी फिर भी बनाकर दी जा रही है इंटर्नशिप
कादरपुरा, चिमरानी, गुड़ला, संखवास, सेनणी, बासनी सहित जिले की 25 से अधिक स्कूलों से बेरोजगारी भत्ते के लिए दी जाने वाली इंटर्नशिप के आधार पर पड़ताल की तो सामने आया कि इन स्कूलों में ये बेरोजगार कभी सेवा देने नहीं पहुंचे। कोई खेत में काम करता मिला तो कोई घर पर पानी भरता। रोचक बात तो यह है कि कई लोग बेरोजगारी भत्ते के साथ नरेगा योजना का भी लाभ ले रहे हैं।
शर्मा ने कहा- संज्ञान में लेकर मामले की जांच कराएंगे
ऐसा मामला चल रहा है तो जांच कराई जाएगी। पात्र लोगों को ही लाभ देने की योजना है। अपात्रों के रिजेक्ट होंगे। ऐसी शिकायत मुझे कभी नहीं मिली थी। मगर अब संज्ञान में लेकर प्रमुखता से जांच होगी। -समित शर्मा, अति. शासन सचिव, कौशल, नियोजन एवं उद्यमिता विभाग।
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