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सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
सहकारी बैंक में करोड़ों रुपये के घोटाले में ऑडिटर (सीए) ही नौ साल तक गलत रिपोर्ट भेजकर गुमराह करते रहे। स्पेशल ऑडिट में गबन की गई धनराशि 25 से बढ़कर 102 करोड़ रुपये हो गई। तथ्य छुपाने व गलत रिपोर्ट भेजने में दो ऑडिटर भाइयों को जेल भेजा गया। स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट में बैलेंस शीट की जांच की गई तो 2016 से 2023 तक 102 करोड़ रुपये का गबन सामने आया।
16 अक्तूबर को ऑडिटर दुर्गेश अग्रवाल व उसके भाई ऋषि अग्रवाल निवासी 51 न्यू राजा मंडी, केनरा बैंक के पास थाना लोहा मंडी, आगरा को गिरफ्तार किया गया था। आडिट रिपोर्ट पर दुर्गेश अग्रवाल के हस्ताक्षर होते थे। इन्होंने ऑडिट में गबन के किसी भी तथ्य को अंकित नहीं किया था। घोटाले के मुख्य आरोपित अखिलेश चतुर्वेदी ने पूछताछ में पुलिस को जानकारी दी थी कि उसने 70 लाख रुपये ऑडिटर को घोटाला छुपाने के लिए दिए थे।
नौ साल तक औपचारिक आडिट रिपोर्ट बैंक मुख्यालय को दी जाती रही। विवेचक अपराध निरीक्षक भोला प्रसाद रस्तोगी ने बताया कि प्रदेश में यह पहला मामला है, जिसमें सीए को जेल भेजा गया है। एआर को-ऑपरेटिव कमलेश वर्मा ने बताया कि जांच के बाद दो आरोपी अधिकारियों को निलंबित किया गया है। वहीं, जांच में घोटाले की धनराशि दो करोड़ तक पहुंचने की बात सामने आई है।
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