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Iran Israel Conflict: ईरान ने एक अक्टूबर, 2024 को इजराइल पर ताबड़तोड़ मिसाइल हमले किए, जिसके कुछ ही मिनटों में ईरान ने 180 बैलिस्टिक मिसाइलें इजरायल पर दाग दीं. अब इस हमले का जवाब इजरायल ने शनिवार (26 अक्टूबर, 2024) को ईरानी सैन्य स्थलों पर छापे मारकर दिया है, जबकि ईरान को हमलों के लिए जवाबी कार्रवाई न करने की चेतावनी भी दी. अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय का कहना है कि ईरान मध्य पूर्व में सबसे बड़ी संख्या में बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस है.
अर्ध-आधिकारिक ईरानी न्यूज आउटलेट ‘आईएसएनए’ ने अप्रैल में ग्राफिक पब्लिश किया, जिसमें नौ ईरानी मिसाइलें दिखाई गईं. उनके बारे में कहा गया कि वे इजरायल तक पहुंच सकती हैं. इनमें “सेजिल” है, जो 17,000 किमी (10,500 मील) प्रति घंटे से अधिक की गति से उड़ान भरने में सक्षम है और इसकी रेंज 2,500 किमी (1,550 मील) है. ISNA के अनुसार, “खेइबर” की रेंज 2,000 किमी (1,240 मील) है, औऱ “हज कासेम” की रेंज 1,400 किमी (870 मील) है.
शिंगटन के नॉन-गवर्नमेंटल ऑर्गनाइजेशन आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की ओर से बताया गया कि ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों में “शाहाब-1” है, जिसकी अनुमानित रेंज 300 किमी (190 मील) है. “ज़ोलफ़ागर” की रेंज 700 किमी (435 मील) है. “शाहाब-3” की रेंज 800-1,000 किमी (500 से 620 मील) है. “इमाद-1” मिसाइल, जो विकासाधीन है और उसकी रेंज 2,000 किमी (1,240 मील) तक है, जबकि “सेजिल” की रेंज 1,500-2,500 किमी (930 से 1,550 मील) तक है.
ईरान का कहना है कि उसकी बैलिस्टिक मिसाइलें अमेरिका, इजरायल और अन्य संभावित क्षेत्रीय लक्ष्यों के खिलाफ बड़ी जवाबी ताकत है. उसने परमाणु हथियार क्षमता की मांग से इनकार किया है. यू.एस. स्थित फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के सीनियर फेलो बेहनम बेन तालेब्लू की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान परिवहन और फायरिंग सिस्टम के साथ अंडरग्राउंड मिसाइल डिपो और अंडरग्राउंड मिसाइल उत्पादन और स्टोरेज सेंटर्स का डेवलपमेंट जारी रखे हुए है. फेलो बेहनम बेन तालेब्लू ने कहा कि जून 2020 में, ईरान ने जमीन के नीचे से पहली बैलिस्टिक मिसाइल दागी थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, “मिसाइलों की रिवर्स-इंजीनियरिंग और कई मिसाइल सेक्शन के उत्पादन के साल ने ईरान को एयरफ्रेम को फैलाने और मिसाइल रेंज बढ़ाने के लिए हल्के मिक्स्ड मटीरियल से उन्हें बनाने के बारे में भी सिखाया. आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन का कहना है कि ईरान का मिसाइल कार्यक्रम काफी हद तक उत्तर कोरियाई और रूसी डिज़ाइनों पर आधारित है और इसे चीनी सहायता से फायदा मिला है.
ईरान के क्षेत्रीय हमले
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने जनवरी 2024 में मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जब उन्होंने कहा कि उन्होंने इराक के अर्ध-स्वायत्त कुर्दिस्तान क्षेत्र में इजरायल के जासूसी मुख्यालय पर हमला किया और उन्होंने सीरिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों पर गोलीबारी की. ईरान ने पड़ोसी पाकिस्तान में बलूची आतंकवादी समूह के दो ठिकानों पर मिसाइलों की फायरिंग की भी घोषणा की.
सऊदी अरब और अमेरिका ने कहा कि उनका मानना है कि 2019 में सऊदी अरब की बेशकीमती तेल सुविधाओं पर ड्रोन और मिसाइल हमले के पीछे ईरान का हाथ था. वहीं, तेहरान ने इस आरोप से इनकार किया. 2020 में, ईरान ने एक ईरानी कमांडर पर अमेरिकी ड्रोन हमले के जवाबी कार्रवाई में इराक में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना पर मिसाइल हमले किए, जिसमें अल-असद एयर बेस भी शामिल था.
यमन के हूतियों का समर्थन
संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान पर यमन के हूतियो को हथियार देने का आरोप लगाया है, जो गाजा युद्ध के दौरान लाल सागर के जहाजों और खुद इजरायल पर गोलीबारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस अभियान का उद्देश्य फिलिस्तीनियों का समर्थन करना है. तेहरान ने हूतियों को हथियार देने से इनकार किया है. 24 सितंबर 2024 को ‘रॉयटर्स’ ने पश्चिमी और क्षेत्रीय स्रोतों का हवाला देते हुए बताया कि ईरान ने रूस और हूतियों के बीच गुप्त वार्ता की मध्यस्थता की थी.
हिजबुल्लाह का समर्थन
लेबनान के ईरान समर्थित हिजबुल्लाह अर्धसैनिक समूह ने कहा कि उसके पास लेबनान के भीतर हजारों रॉकेटों को सटीक मिसाइलों में बदलने और ड्रोन बनाने की क्षमता है. इजरायली और पश्चिमी खुफिया अधिकारियों के अनुसार, ईरान ने राष्ट्रपति बशर अल-असद की विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई का समर्थन करने के लिए सीरिया को स्वदेशी, सटीक-निर्देशित मिसाइलें हस्तांतरित की हैं. सूत्रों का कहना है कि उसने कुछ उत्पादन क्षमता को सीरिया के अंडरग्राउंड परिसरों में शिफ्ट कर दिया है, जहां असद की सेना और अन्य तेहरान समर्थक बलों ने मिसाइलों बनाना सीखा है.
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