[ad_1]
फसल अवशेष या पराली जलाने वालों पर कृषि विभाग की ओर से सख्त कार्रवाई करते हुए जुर्माना लगाया जाएगा।
पर्यावरण विभाग राजस्थान सरकार की ओर से वायु प्रदूषण नियंत्रण एवं रोकथाम अधिनियम 1981 की धारा के तहत फसल अवशेष जलाने को प्रतिबंधित किया गया है। जिले में फसल अवशेष या पराली जलाने वालों पर कृषि विभाग की ओर से सख्त कार्रवाई करते हुए जुर्माना लगाया जाएगा।
.
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक कैलाशचन्द मीणा ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा किसानों से समय-समय पर समझाइश की जा रही है। इसके बाद भी यदि किसान खेतों में पराली जलाते हैं तो प्रशासन की ओर से सख्ती बरती जाएगी। उन्होंने बताया कि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फसल अवशेषों को जलाने पर भूमि स्वामित्व के अनुसार 2500 रुपए (2 एकड़ से कम), 5000 रुपए (2-5 एकड़) और 15000 रुपए (5 एकड़ से अधिक) जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है। इसकी अवहेलना किए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 और अन्य धाराओं के तहत दंडित किया जा सकता है।
फसल अवशेष दहन के दुष्परिणाम उन्होंने बताया कि कार्बनिक पदार्थ, जीवांश पदार्थ मृदा संसाधन का एक महत्वपूर्ण घटक है, लेकिन फसल अवशेषों को जलाने से यह अमूल्य पदार्थ नष्ट हो जाते हैं। जिसके कारण मृदा की उर्वरता और उत्पादकता कम हो जाती है। जिले में खरीफ फसलों की कटाई हो रही है। इसी के साथ ही जिले में आगामी दिनों में खेतों में फसल अवशेष पराली जलाने की घटनाएं बढ़ सकती हैं। फसलों के अवशेष जलाने से भूमि की उर्वरता शक्ति घटने के साथ ही मृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीवों की संख्या में निरन्तर कमी आ रही है। परिणामस्वरूप उन्नत किस्मों उर्वरकों का समुचित प्रयोग करने के बाद भी फसलों की पैदावार में वृद्धि नहीं हो पा रही है। साथ ही पराली जलाने से विभिन्न हानिकारक गैस जैसे मिथेन, कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड भारी मात्रा में वातावरण में फैलने से मनुष्यों में कैंसर, अस्थमा और अन्य हानिकारक बीमारियां होने की संभावना रहती है।
लाभकारी खेती के लिए हो फसल अवशेष प्रबंधन फसल अवशेष एक प्राकृतिक संसाधन है। ऐसे में फसल अवशेषों को जलाने के बजाय मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की भौतिक, रसायनिक और जैविक दशा में सुधार होगा। पैदावार बढ़ेगी और मिट्टी का स्वास्थ्य लम्बे समय तक अच्छा बना रहेगा। किसान फसल अवशेषों को जलाने के बजाय स्ट्रीपर द्वारा चारा बनाकर अतिरिक्त आमदनी करें और शेष अवशेषों को रोटावेटर से गहरी जुताई कर मिट्टी में मिला दें। जिससे मिट्टी में कार्बनिक और जीवांश पदार्थों की मात्रा बढ़ेगी और फसलों की पैदावार बढ़ेगी। इसके लिए विभाग द्वारा किसानों को उन्नत कृषि यंत्र यथा स्ट्रीपर और रोटावेटर अनुदान पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
[ad_2]
Source link