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अहोई अष्टमी के मौके पर सुबह से ही महिलाओं ने पुत्रों की दीर्घायु व खुशहाली की कामना को लेकर निर्जला उपवास रखा। घर-घर में पूड़ी-पकवान बनाए गए। इसके बाद महिलाओं ने कैलेंडर, करवा, सींक और अन्य पूजन सामग्री से अहोई माता की पूजा की और पुत्र की दीर्घायु की कामना की।
बेटे धैर्य के साथ पूजा करतीं दीक्षा – फोटो : संवाद
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पुत्र की कुशलता और दीर्घायु की कामना को लेकर अहोई अष्टमी का त्योहार 24 अक्तूबर को श्रद्धापूर्वक मनाया गया। पूरे दिन महिलाओं ने निर्जला उपवास रखा। कुछ महिलाओं ने सज-संवरकर सुबह तो कुछ ने शाम को अहोई माता की सामूहिक अथवा एकल रूप से पूजा-अर्चना की। सुबह पूजा करने वाली महिलाओं ने सूर्यदेव को अर्घ्य दिया तो शाम को पूजा करने वाली महिलाओं ने तारों को अर्घ्य देकर उपवास खोला।
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। 24 अक्तूबर को अहोई अष्टमी के मौके पर सुबह से ही महिलाओं ने पुत्रों की दीर्घायु व खुशहाली की कामना को लेकर निर्जला उपवास रखा। घर-घर में पूड़ी-पकवान बनाए गए। इसके बाद महिलाओं ने कैलेंडर, करवा, सींक और अन्य पूजन सामग्री से अहोई माता की पूजा की और पुत्र की दीर्घायु की कामना की। अर्घ्य देकर महिलाओं ने उपवास खोला। पुत्रों ने अपनी माताओं को जल पिलाकर व अन्न खिलाकर उपवास खुलवाया। माताएं इस व्रत को लेकर काफी उत्साहित नजर आईं।