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राजधानी दिल्ली की हवा साफ करने के लिए पांच-छह साल में कई अलग-अलग मशीनों का प्रयोग किया गया, लेकिन करोड़ों के इन उपकरणों का इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा। इनमें हवा साफ करने के लिए लगाए गए स्मॉग टावर खराब हो चुके हैं। स्मॉग गन बंद पड़ी हैं।
राजधानी दिल्ली की हवा साफ करने के लिए पांच-छह साल में कई अलग-अलग मशीनों का प्रयोग किया गया, लेकिन करोड़ों के इन उपकरणों का इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा। इनमें हवा साफ करने के लिए लगाए गए स्मॉग टावर खराब हो चुके हैं। स्मॉग गन बंद पड़ी हैं। इतना ही नहीं, वास्तविक समय में प्रदूषण के कारकों की जानकारी के लिए तैयार की गई विशेष प्रयोगशाला भी बंद है। इतना ही नहीं, वर्ष 2018-19 में पांच स्थानों आईटीओ, आनंद विहार, वजीरपुर, शादीपुर और भीकाजी कामा प्लेस में 70 वायु यंत्र लगाए गए थे। सरकार के मुताबिक, यह यंत्र उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर रहे थे, जिसके चलते इन्हें सड़कों से हटा लिया गया। उधर, बढ़ते प्रदूषण के बीच हड़ताल के कारण इलेक्ट्रिक बसें भी नहीं चल रहीं। नई दिल्ली से संजय कुशवाहा, बृजेश सिंह, राजीव शर्मा, राहुल मानव, गाजियाबाद से आयुष, फरीदाबाद से अभिषेक शर्मा, नोएडा से विक्रम शर्मा, गुरुग्राम से कृष्ण कुमार की रिपोर्ट…
दिल्ली में प्रदूषित हवा को साफ करने के लिए दो स्थानों पर स्मॉग टावर लगाए गए थे। दिल्ली सरकार द्वारा कनॉट प्लेस में और केंद्र सरकार द्वारा आनंद विहार में इन्हें लगाया गया था। माना जाता था कि ये एक किलोमीटर के दायरे में हवा साफ करेंगे। जाड़े के समय जब प्रदूषण का स्तर सबसे घातक श्रेणी में रहता है, उस समय इन टावरों का फायदा आम लोगों को मिलेगा। दोनों टॉवर के लिए ऐसी जगहों का चुनाव किया गया था, ताकि प्रयोग में दो अलग-अलग स्थानों के आंकड़े लिए जा सके। हालांकि, दो साल के प्रयोग में स्मॉग टॉवर को प्रदूषण की रोकथाम में खास सफलता नहीं मिली और इन्हें बंद कर दिया गया।
वास्तविक स्रोतों की जानकारी नहीं मिलती
दिल्ली में समय के साथ प्रदूषण के स्रोत में बदलाव आता है। जैसे गर्मी में प्रदूषण के मुख्य कारक अलग होते हैं और सर्दी में अलग। अगर प्रदूषण के कारकों के बारे में सही जानकारी मिल सके तो उसकी रोकथाम में आसान हो सकती है। इसी उद्देश्य से दिल्ली सरकार ने कानपुर आईआईटी के साथ मिलकर डीडीयू मार्ग पर विशेष प्रयोगशाला शुरू की थी।
रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट पर स्थापित की गई इस प्रयोगशाला में कुछ दिन तक तो प्रदूषण के वास्तविक स्रोतों की जानकारी सही मिलती रही, लेकिन लगभग एक साल से यह प्रयोगशाला भी बंद है। सूत्रों का कहना है कि आईआईटी कानपुर के साथ करार समाप्त होने के बाद अब दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसे खुद ही किसी विशेषज्ञ संस्था के जरिए चलाने की तैयारी कर रहा है।
दुरुपयोग के बाद 70 वायु उपकरणों को हटाया
दिल्ली की प्रदूषित हवा को साफ करने के लिए वर्ष 2018-19 में पायलट योजना के तहत इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) ने दिल्ली सरकार के साथ मिलकर वायु (पवन संवर्धन शुद्धिकरण इकाइयां) लगाई थी। दिल्ली में कुल पांच स्थानों आईटीओ, आनंद विहार, वजीरपुर, शादीपुर और भीकाजी कामा प्लेस में 70 वायु यंत्र लगाए गए थे।
सरकार के मुताबिक, यह यंत्र उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर रहे थे, जिसके चलते इसे कुछ समय पहले सड़कों से हटा लिया गया। सड़कों के डिवाइडर के बीच या सड़क के किनारे फुटपाथ के साथ लगाए जाने वाली यह वायु इकाइयां एक तरह से एयर फिल्टर की तरह काम करती थीं, जिसका मकसद दिल्ली की प्रदूषित हवा से पीएम10 व पीएम 2.5 को कम करना था।
उसके बाद अपग्रेड करके लगाई गई 19 मशीनें 2500 मीटर क्यूबिक हवा प्रति घंटे साफ करती थीं। वायु मशीनों के साथ दिक्कतें यह भी थी कि लोगों ने इन्हें कूड़ेदान बना दिया था। वायु इकाइयों के कवर जिसमें हवा के लिए छोटे-छोटे छिद्र बने थे, लोग ने उनमें बीड़ी, गुटखा का पैकेट, चिंगम, सिगरेट डालना शुरू कर दिया था। इस वजह से फिल्टर बार-बार खराब हो रहे थे।
प्रदूषण नियंत्रण निकायों में 50 फीसदी पद खाली
दिल्ली समेत देशभर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए जिम्मेदार बोर्ड और समितियों में 50 फीसदी पद खाली हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अप्रैल में एनजीटी में दाखिल रिपोर्ट के मुताबिक, 28 राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कुल 12 हजार से ज्यादा पद हैं, जिनमें से छह हजार से ज्यादा खाली हैं।
इन उपायों से थोड़ा फायदा होने का दावा
● प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिल्ली में बदरपुर थर्मल पावर प्लांट बंद किया गया
● 1600 से ज्यादा उद्यमों को पीएनजी-बिजली जैसे स्वच्छ ईंधन से चलाया जा रहा
● केवल डीजल से चलने वाले डीजी सेट आवश्यक सेवाओं के लिए हैं। बाकी पर लगभग पाबंदी हैं
● दिल्ली के हरित क्षेत्र में बढ़ोतरी, सरकार का दावा है कि हरित क्षेत्र 10 साल में 20 से 23 फीसदी हो गया
● निगरानी नेटवर्क में इजाफा, 2015 में 10 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र थे, जिनकी संख्या अब 40 है। दावा है कि इस वजह से प्रदूषण कम हुआ है
इलेक्ट्रिक वाहन लाने की नीति रही सफल
दिल्ली के प्रदूषण में करीब 40 फीसदी भागीदारी वाहनों की होती है। सरकार ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली में जीरो प्रदूषण करने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने को लेकर तीन साल पहले ई-वाहन नीति लेकर आई। उसी का नतीजा रहा कि आज दिल्ली में कुल पंजीकृत होने वाले वाहनों में करीब 12 फीसदी वाहन इलेक्ट्रिक है। दिल्ली में इस वर्ष यानि 2024 में कुल 5.46 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हुए है, जिसमें 63 हजार 254 इलेक्ट्रिक वाहन है। मसलन ई-वाहनों की कुल भागीदारी 11.58 फीसदी है।
एनसीआर का हाल
अधिकारी केवल कार्रवाई तक सीमित
नोएडा। वायु प्रदूषण पर रोकथाम के लिए नोएडा प्राधिकरण जरूरी कदम उठा रहा है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के हिसाब से ये नाकाफी हैं। नोएडा प्राधिकरण की 14 टीम लोगों को जागरूक करने के साथ कार्रवाई भी कर रही हैं। शहर में रोजाना 37 टैंकरों के माध्यम से 115 किलोमीटर से अधिक सड़कों पर छिड़काव किया जा रहा है। जनस्वास्थ्य विभाग की 12 मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन के जरिए 340 किलोमीटर सड़कों पर सफाई कराई जा रही है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर पिछले 10 दिन में रोजाना 50 हजार से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है। हालांकि, प्राधिकरण, बिल्डर आदि की सभी साइट पर एंटी स्मॉग गन ने काम करना शुरू नहीं किया है।
सुझावों पर कतई अमल नहीं हो रहा
गाजियाबाद। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सुझाव पर अमल नहीं होने के कारण गाजियाबाद में प्रदूषण बढ़ रहा है। नगर निगम और जीडीए के पास सिर्फ पांच-पांच एंटी स्मॉग गन हैं, जबकि क्षेत्र काफी बड़ा है। हापुड़ रोड, राजनगर एक्सटेंशन, मेन वजीराबाद रोड, जीटी रोड और लिंक रोड पर ही पानी का छिड़काव कर एंटी स्मॉग गन चलाई जाती हैं।
नियंत्रण के लिए कोई उपाय नहीं
फरीदाबाद। फरीदाबाद में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक भी स्मॉग टावर नहीं है। इसके अलावा वर्ष 2016 में प्रदूषण की मॉनिटरिंग के लिए लाइव मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया जाएगा। इसके लिए चार जगहों को चिन्हित किया गया था, लेकिन आज तक स्थापित नहीं किया गया है। हर साल सर्दी में यहां प्रदूषण बढ़ जाता है।
ग्रैप के नियमों का उल्लंघन
गुरुग्राम। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए कुछ सुझाव विभागों को दिए थे, लेकिन गुरुग्राम में ना तो सुझावों पर कोई काम हो रहा है ना ही ग्रैप के नियमों का पालन किया जा रहा है। नगर निगम द्वारा चार एंटी स्मॉग गन से कुछ ही सड़कों पर पानी छिड़काव करके खानापूर्ति की जा रही है।
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