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हरियाणा में कृषि और किसान कल्याण विभाग ने 38 किसानों को अगले 2 खरीद सत्रों में एमएसपी पर फसल बेचने से रोक लगा दी है। पराली जलाने पर अंकुश लगाने के मकसद से ये कड़ा कदम उठाया गया है। विभाग के निदेशक की ओर से जारी सर्कुलर के बाद यह कार्रवाई शुरू की गई, जिसमें फसल अवशेष जलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। इन किसानों के ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ रिकॉर्ड में रेड एंट्री दर्ज की गई है। इससे ई-खरीद पोर्टल के जरिए फसल बेचने पर रोक लग जाएगी, जो MSP पर खरीद सुनिश्चित करती है।
विभाग की ओर से जो सर्कुलर जारी किया गया, उसमें कड़ी कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया गया है। इसमें पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ FIR दर्ज करना और 2 सत्रों के लिए खरीद प्रक्रिया से बाहर करने की खातिर चिह्नित करना शामिल है। ऐसी घटनाओं को रोकने में लापरवाही करने वाले सरकारी अधिकारियों को नतीजे भुगतने की भी चेतावनी दी गई। करनाल के उप कृषि निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने कहा, ‘हमने पहले 9 एफआईआर दर्ज की थीं। ताजा निर्देशों के बाद दोषी किसानों के एमएफएमबी रिकॉर्ड में रेड एंट्री भी दर्ज कर ली गई।’ सैटेलाइट डेटा के अनुसार, पराली जलाने के नियमों का उल्लंघन करने पर 39 किसानों पर 1,07,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
किसानों पर कार्रवाई का फैसला वापस लेने की मांग
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार को पराली जलाने के मामलों में किसानों पर कार्रवाई का फैसला वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को पराली का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करके किसानों से इसकी खरीद करनी चाहिए। पराली जलाने को लेकर सरकार की ओर से किसानों पर की गई कार्रवाई पूरी तरह निंदनीय है। सरकार को यह किसान विरोधी फैसला वापिस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों पर जुर्माना लगाने, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और उनको रेड लिस्ट करने की बजाय इसके समाधान पर काम करना चाहिए।
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