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पूर्व उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ देश के विकास के लिए आवश्यक है। उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के स्थान पर कॉमन सिविल कोड (सीसीसी) लाने का समर्थन किया। नायडू ने…
– कहा, यूसीसी को सीसीसी के रूप में लाना ज्यादा बेहतर
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता
पूर्व उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का मनाना है कि एक देश, एक चुनाव देश के विकास के लिए बेहद जरूरी है और इसे जल्द से जल्द मूर्त रूप लेना चाहिए। इससे न केवल समय और धन की बर्बादी कम होगी, बल्कि स्थायित्व के साथ देश और राज्यों के साथ स्थानीय निकायों के द्वारा किए जाने विकास कार्यों में तेजी आएगी।
नायडू ने यह भी कहा कि वह यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के बजाय कॉमन सिविल कोड (सीसीसी) लाए जाने के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म शब्द से कुछ लोगों को दिक्कत हो सकती है और उन्हें अपनी आस्था और रीति रिवाज में हस्तक्षेप नजर आ सकता है। जब सामान शब्द रहेगा तो उसमें सबके लिए एक जैसी बात होगी। कई बार शब्दों के हेर-फेर से भी चीजें बदल जाती हैं। बुधवार को एक अनौपचारिक चर्चा के दौरान नायडू ने कहा कि जब वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब उन्होंने एक देश, एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ने का काम किया था। हालांकि, अब सक्रिय राजनीति में नहीं है, इसलिए उनका मानना है इसे दलीय भावना से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में देखा जाना चाहिए। कहा, एक देश एक चुनाव के लिए मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास न केवल सराहनीय हैं, बल्कि देश के विकास के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।
कानून बनाते समय एकजुटता दिखे
विपक्ष के कुछ नेताओं द्वारा सेक्युलर नागरिक सहिंता लाए जाने की बात पर नायडू ने कहा कि भारत की तो परंपरा ही सेक्युलर है, जबकि यह शब्द बहुत बाद में चलन में आया। उन्होंने कहा के इस बारे में व्यापक संवाद होना चाहिए। एक बड़ी कमेटी ने अपनी सिफारिशें दी हैं। उनको लेकर तो चर्चा हो चुकी है, लेकिन समाज के विभिन्न वर्गों और लोगों के बीच भी लगातार संवाद होना चाहिए ताकि कानून बनाते समय एकजुटता देखी जा सके, न कि बिखराव।
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