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दिल्ली की एक अदालत ने मध्य प्रदेश की एक कंपनी को ‘जन औषधि’ से मिलते-जुलते नाम का इस्तेमाल करने पर प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) को 10 लाख रुपए का हर्जाना देने का आदेश दिया है। रसायन और उर्वरक मंत्रालय की तरफ से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में इस बात की जानकारी दी गई।
विभाग की तरफ से जारी बयान में कहा कि नई दिल्ली जिला अदालत ने मध्य प्रदेश के भोपाल में ‘जन औषधि संघ’ के नाम से संचालित संगठन को एक जैसे नाम की वजह से उसे इस नाम का इस्तेमाल करने से स्थायी रूप से रोक दिया है।
बयान के मुताबिक, ‘यह कंपनी जानबूझकर और इरादतन प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के पंजीकृत ट्रेडमार्क ‘जन औषधि’ से मिलते-जुलते नाम का भ्रामक रूप से इस्तेमाल कर रही थी। इसका मकसद आम जनता के मन में भ्रम पैदा करना और जन औषधि की साख को नुकसान पहुंचाना था।’
दिल्ली की अदालत ने उल्लंघनकर्ता और उसके मालिकों, साझेदारों को किसी भी तरह से उक्त चिह्न ‘जन औषधि’ का उपयोग करने से रोकने का आदेश दिया है। बयान में कहा गया कि अदालत का यह फैसला जन औषधि ब्रांड की अखंडता को संरक्षण देता है और यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ताओं को जन औषधि केंद्रों के माध्यम से सस्ती दरों पर प्रामाणिक उत्पाद मिलें।
PMBJP योजना सभी लोगों को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। अदालत ने आरोपी कंपनी को PMBJP के पक्ष में 10 लाख रुपए का हर्जाना देने का भी आदेश दिया है। वर्तमान में देश के लगभग सभी जिलों में 13,800 जन औषधि केंद्र संचालित हो रहे हैं।
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