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बीमारियों की मॉनिटरिंग के लिए नियुक्त प्रभारी ने कलेक्टर के साथ चर्चा की।
उदयपुर में डेंगू बीमारी ने अपना कहर बरपा रखा है। पिछले 9 महीनों में 745 से अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित हुए हैं। यह वर्ष 2019 के बाद सबसे ज्यादा है। जबकि इस बीच 8 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 6 निजी अस्पतालों में और 2 सरकारी अस्पतालों में मौतें हुई
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चौंकाने वाली बात यह है कि विभाग डेंगू से होने वाली मौतों के आंकड़े छिपा रहा है। सात अक्टूबर को स्टेट नोडल ऑफिसर की मौजूदगी में हुई समीक्षा बैठक में भी स्वास्थ्य अधिकारियों ने डेंगू रोगियों की मौत के आंकड़ों को उजागर नहीं किया।
आरएएस अधिकारी तरू सुराणा की डेंगू से हुई मौत को भी विभाग ने अपने रिकॉर्ड पर नहीं लिया है। जबकि हकीकत यह है कि एक माह में सरकारी अस्पतालों में ही दो डेंगू रोगियों की मौत हो चुकी है। 4 सितंबर को नाइयों की गली, आयड़ निवासी अंकित उर्फ चिंकू (28) की एमबी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।
आईजीएम और आईजीजी जांच रिपोर्ट में डेंगू का स्तर एनएस फर्स्ट (डेगूं एंटीजन) मिला था। इससे पहले इसी दिन की गई हेमेटोलॉजी एनालिसिस रिपोर्ट में डब्ल्यूबीसी 14.11 और पीएलटी यानी प्लेटलेट्स 28 आई थी। अंकित की 6 अक्टूबर को मौत हो गई। परिवार ने डेंगू से मौत की बात स्वीकार की है। लेकिन, विभाग ने डेंगू से मौत नहीं माना है। एक माह पहले जगदीश चौक निवासी 72 वर्षीय बुजुर्ग की डेंगू से मौत हुई थी।
विभाग ने दावा किया कि डेंगू मरीज पहले मरीज हार्ट रोगी था। इसलिए उसकी मौत हुई है। ये दोनों ही मौतें सरकारी संस्थानों में हुई, लेकिन विभाग ने एक भी मौत को रिकॉर्ड नहीं किया। उदयपुर चिकित्सा विभाग के ये आंकड़े प्रदेश स्तर पर बीमारी से हुई 5 मौतों वाले आंकड़ों पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
तीन दिन में 73 नए मरीज मिले, एक दिन में रिकॉर्ड 41 मिल चुके
दूसरी ओर चिकित्सा विभाग के रिकॉर्ड में बीते रविवार, सोमवार और मंगलवार को कुल नए 73 रोगी सामने आए हैं। 5 अक्टूबर को लिए गए नमूनों की रिपोर्ट 6 को आई थी। इसमें सर्वाधिक 41 मरीज मिले थे। रविवार को सार्वजनिक अवकाश के बीच नमूने कम हुए थे। इसलिए सोमवार यानी 7 अक्टूबर को मरीजों का आंकड़ा केवल 6 था।
सोमवार को लिए नमूनों की जांच रिपोर्ट 8 अक्टूबर को आई। इसमें मरीजों की संख्या 26 मिली। एक जनवरी से 8 अक्टूबर 2024 के हिसाब से जिले में कुल मरीजों का आंकड़ा 745 को पार कर गया है। इसमें बहुत से निजी अस्पतालों और निजी लैबों का आंकड़े शामिल नहीं हैं। हालांकि, विभाग की ओर से अधिकाधिक मरीजों की लैब और अस्पताल रिपोर्ट शामिल करने की बातें हो रही हैं।
इधर, निजी अस्पतालों की ओर से भी मौतों को इसलिए छिपाया जा रहा है कि इससे उनकी बदनामी होती है। रिकॉर्ड में मौतों के सामने आने के बाद मरीज ऐसे अस्पतालों में जाने से बचते हैं। खुद चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार भी इस सच को स्वीकार कर रहे हैं।
आरएनटी के चिकित्सा प्रभारी बोले- मरीज बढ़े, मौतें नहीं जगदीश चौक डिस्पेंसरी के प्रभारी डॉ. भूपेंद्र शर्मा ने बताया कि उनके सेक्टर में मरीज ज्यादा हैं, लेकिन मौतें नहीं हुई हैं। आरएनटी मेडिकल कॉलेज की डेथ ऑडिट कमेटी नेे 72 वर्षीय मरीज की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया है। चिकित्सा विभाग के रिकॉर्ड में भी यही है।
डॉ. शर्मा की मानें तो मरीज की मौत के बाद उनके घर और समीपवर्ती 40 मकानों के सर्वे के लिए मेडिकल कॉलेज से किसी ने जानकारी नहीं दी थी। आयड़ में मौत पर डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अंकित जैन ने कहा कि ऐसी मौतों की पुष्टि मेडिकल कॉलेज की ओर से की जाती है। इसके बाद विभाग को इसकी रिपोर्ट मिलती है।
उदयपुर पहुंचे जिला प्रभारी, कलेक्टर से चर्चा की, बोले- जिन घरों में मच्छरों के लार्वा मिलें, उनके चालान बनाएं, हर सोमवार को हो बैठक
मौसमी बीमारियों के बढ़ते रोगियों को लेकर चिकित्सा विभाग की मॉनिटरिंग के लिए प्रदेश स्तर पर डॉ. इंद्रजीतसिंह को उदयपुर का प्रभारी बनाया गया है। डॉ. सिंह मंगलवार को चिकित्सा संस्थानों का औचक निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने बीमारियों की रोकथाम के लिए सीएमएचओ डॉ. शंकरलाल बामनिया, डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अंकित जैन के साथ कलेक्टर अरविंद पोसवाल से चर्चा की।
डॉ. सिंह ने नगर निगम के सहयोग से हर दिन फॉगिंग कराने की बात कही। साथ ही जिन घरों में मच्छरों के लार्वा मिल रहे हैं, उनके मालिकों के खिलाफ चालान बनाने को कहा। बीमारी का संकट नहीं टलने तक हर सोमवार को अनिवार्य बैठक बुलाने और आम लोगों में जागरूकता करने के लिए अभियान चलाने का सुझाव भी दिया। इससे पहले जिला प्रभारी डॉ. सिंह ने यूपीएचसी भूपालपुरा का निरीक्षण किया। यहां मरीजों से चर्चा की। जांच रिपोर्ट भी देखी। इसी तरह गिर्वा के नाई और सीसारमा स्थित चिकित्सा संस्थानों का निरीक्षण किया। सीएचसी नाई की बेस एंबुलेंस का निरीक्षण किया। एंबुलेंस के माध्यम से आईईसी और प्रचार-प्रसार के प्रयास तेज करने की बात कही।
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