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अजमेर के घूघरा स्थित कारागार प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे जेल प्रहरियों को महात्मा गांधी की 155वीं और लाल बहादुर शास्त्री की 120वीं जयंती के उपलक्ष्य में विशेष प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम महात्मा गांधी और लाल बहाद
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संस्थान के प्राचार्य पारस जांगिड ने प्रेजेंटेशन देते हुए प्रशिक्षुओं को बताया कि महात्मा गांधी ने 6 साल 4 महीने (कुल 2338 दिन) जेल में बिताए, जबकि बहादुर शास्त्री ने 9 साल जेल में बिताए। गांधीजी का जेल जीवन आत्मशुद्धि और सत्याग्रह का प्रतीक था। उन्होंने जेल को अपने आदर्शों की साधना और समाज सुधार के लिए प्रेरणा का स्थान माना।
लाल बहादुर शास्त्री जी ने जेल जीवन के दौरान आत्म-अनुशासन और अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया, जो उनकी सादगी और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। कार्यक्रम में जेल स्टाफ को महात्मा गांधी के विचारों के अनुसार मानवीय दृष्टिकोण, अहिंसा, और अनुशासन के साथ व्यवहार करने का महत्व बताया गया। जेलों को सुधार के केंद्र के रूप में देखा जाना चाहिए, जिससे कैदी समाज के उपयोगी सदस्य बन सकें।
संस्थान के एमडीआई अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि गांधी और शास्त्री की जयंती पर संस्थान पर दिन भर कार्यक्रम आयोजित हुए। शकुंतला ने प्रशिक्षुओं को प्रातः योग-प्राणायाम करवाया। श्रमदान करवाया गया। दिन में महात्मा गांधी के विचारधारा पर आधारित फिल्म ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ दिखाई गई। गांधी – शास्त्री के जीवन पर प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डिप्टी जेलर हिना खान, आउटडोर प्रभारी प्रहलाद गुर्जर, इंडोर प्रभारी सुरेश चौधरी, अर्जुन, सुभाष बिश्नोई, रसाल देवी आदि उपस्थित रहे।
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