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जयपुर के प्रमुख बड़े सरकारी हॉस्पिटलों में इन दिनों स्टाफ की कमी से व्यवस्थाएं बिगड़ रही है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज से अटैच हॉस्पिटल में तकनीकी स्टाफ की कमी के कारण आए दिन सैंपल गुम होने, जांच रिपोर्ट ठीक नहीं आने और मरीजों को जांच के लिए लम्बा इंतजार करन
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एसएमएस हॉस्पिटल, जे.के. लोन, जनाना समेत अन्य हॉस्पिटल में नियमित स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए कॉन्ट्रेक्ट पर भर्ती होती है। लेकिन जे.के. लोन और जनाना हॉस्पिटल में इन दिनों कॉन्ट्रेक्ट पर भी पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध नहीं हो पा रहा। ऐसा इसलिए कि क्योंकि इन भर्ती में राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स की सिफारिश का जबरदस्त दबाव है। विधायक, मंत्री से लेकर हर स्तर के नेता और ब्यूरोक्रेट्स अपने चहेतों को नौकरी लगवाना चाहते है।
इस कारण जे.के. लोन और जनाना हॉस्पिटल दोनों में मिलाकर 25 से ज्यादा स्टाफ की भर्ती का मामला हॉस्पिटल के स्तर पर ही रूका पड़ा है। यहां के अधीक्षक और अन्य प्रशासन के अधिकारी निर्णय ही नहीं कर पा रहे है। इसका खामियाजा यहां मरीजों और स्टाफ को भुगतना पड़ रहा है। मरीजों की जांचे, रिपोर्ट समेत इलाज प्रभावित हो रहे है।
गुम रहे है सैंपल, देरी से आ रही है रिपोर्ट
कर्मचारियों की कमी होने और इन दिनों मरीजों की संख्या ज्यादा बढ़ने का असर जांचों पर आ रहा है। जे.के. लोन में आए दिन मरीजों के ब्लड सैंपल गुम होने, रिपोर्ट देरी से आने की शिकायतें आ रही है। यहां हॉस्पिटल प्रशासन ने लैब टैक्नीशियन और दूसरे पैरा मेडिकल स्टाफ की जगह नर्सिंग स्टाफ को सैंपल कलेक्शन समेत अन्य ड्यूटी में लगा रखा है। बताया जा रहा है कि पूरे हॉस्पिटल में केवल एक ईसीजी लैब टैक्नीशियन है, जो ओपीडी, आईपीडी में सभी मरीजों की जांच कर रहा है। वहीं कई स्टाफ की तो लगातार डेढ़ से दो माह तक नाइट ड्यूटी लगाई जा रही है।
स्टाफिंग पैटर्न अब तक लागू नहीं
राज्य सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट ने साल 2008 में स्टाफिंग पैटर्न के नियम बनाए थे, जिसके तहत कर्मचारियों की संख्या निर्धारित की थी। लेकिन इस नियम के तहत अब तक भर्ती नहीं हो पाई। स्टाफ नहीं होने से जयपुर के जे.के. लोन, जनाना समेत अन्य हॉस्पिटल में लैब टैक्नीशियन, रेडियोग्राफर का काम नर्सिंग स्टाफ कर रहा है।
स्टाफ की कमी जल्द दूर होगी
इस मामले में जे.के. लोन हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा का कहना है- कि कॉन्ट्रेक्ट पर कर्मचारियों की भर्ती के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जल्द ही निर्णय करके भर्ती कर दी जाएगी। इधर अखिल राजस्थान लेबोरेट्री टैक्नीशियन कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह का कहना है- ये समस्या जे.के. लोन या जनाना में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के तमाम हॉस्पिटल में है। सरकार जब तक स्टाफिंग पैटर्न के जरिए भर्ती नहीं करेगी, इस तरह की समस्या होती है।
6 गुना जांचे बढ़ी, लेकिन कर्मचारियों की संख्या वहीं
प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने बताया- कि जब सरकार ने साल 2012-13 में मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना शुरू की थी, तब पूरे प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटलों में हर साल औसतन 2.83 करोड़ृ जांच होती थी, जो अब बढ़कर 12.70 करोड़ से भी ज्यादा हो गई है। सरकार ने उस समय जो कर्मचारियों की संख्या निर्धारित की थी, वहीं संख्या अब भी है, उसमें बढ़ोतरी नहीं की।
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