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नई दिल्ली: सुपरस्टार ने ‘दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड’ जीतने के बाद फैंस से कहा कि अगर वे फिल्म इंडस्ट्री में कामयाब होना चाहते हैं, तो उनमें काम के प्रति जुनून और लगन होनी चाहिए. उन्होंने अवॉर्ड फैंस को डेडिकेट किया और अपने संघर्ष के दिनों के किस्से सुनाए, ताकि बता सकें कि एक न्यूकमर को सफलता के लिए क्या कीमत चुकानी पड़ सकती है. हम मिथुन चक्रवर्ती की बात कर रहे हैं, जिन्होंने चोट के बावजूद अपनी लेटेस्ट फिल्म की शूटिंग की.
मिथुन चक्रवर्ती ने दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड जीतने पर खुशी जताई और न्यूज18 से खास बातचीत में अपने फिल्मी सफर के बारे में बताया. एक्टर ने बताया कि स्ट्रगल के दिनों में जब उनके पास खाने को पैसे नहीं थे, तब उन्होंने एक जर्नलिस्ट से खाना खिलाने की गुजारिश की थी. वे बोले, ‘मेरे पास सभी का शुक्रिया अदा करने के लिए शब्द नहीं हैं. मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं न तो हंस सकता हूं, न ही रो सकता हूं. मुझे अब भी याद है कि कैसे मैं एक बार मुंबई के फुटपाथ पर सोया था. मुझे हर चीज के लिए लड़ना पड़ा. आज जब मुझे यह सम्मान दिया जा रहा है तो मुझे अभी भी इस पर यकीन नहीं हो रहा है.’
मिथुन चक्रवर्ती ने जब जीता पहला नेशनल अवॉर्ड
मिथुन ने अपना अवॉर्ड परिवार और फैंस को डेडिकेट करते हुए कहा, ‘मैंने सड़कों से शुरुआत की थी, जहां रात में अनगिनत रातें बिताईं. शुरुआत में मैंने सी-ग्रेड फिल्मों में काम किया और फिर बी-ग्रेड में करने लगा. जब मुझे अपना पहला नेशनल अवॉर्ड मिला, तो एक जर्नलिस्ट ने इंटरव्यू के लिए संपर्क किया. मैंने उनसे कहा कि मैं भूखा हूं, मेरे पास खाना खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं. वे इतने दयालु थे कि उन्होंने मुझे खाने के लिए कुछ दिया. आज मुझे चार बार खाना मिलता है. मैंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन आर्ट को लेकर मेरा जुनून और स्ट्रगल ही मेरा हथियार है.’ बता दें कि उन्हें डेब्यू फिल्म ‘मृगया’ के लिए पहला नेशनल अवॉर्ड जीता था.
‘सांवली सूरत’ के चलते झेला रिजेक्शन
मिथुन दा आज एक्टर ही नहीं, एक राजनेता भी हैं. भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं, लेकिन उन्होंने एक्टिंग को हमेशा राजनीति से दूर रखा. उन्होंने करियर की शुरुआत में अपनी सांवली सूरत की वजह से काफी रिजेक्शन झेला था, जिसकी वजह से वे हीन भावना से भी ग्रस्त रहे. उन्होंने परफॉर्मर के तौर पर खुद को बेहतर बनाया और सफलता की सीढ़ियां चढ़ते चले गए.
Tags: Mithun Chakraborty
FIRST PUBLISHED : September 30, 2024, 21:56 IST
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