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Israel Conflict In Middle East Country: पिछले करीब एक साल से फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास से जंग लड़ रहे इजरायल को बीच-बीच में कभी लेबनान के हिजबुल्लाह से लड़ना पड़ा है तो कभी यमन के हूती विद्रोहियों से तो कभी दूसरे छोटे-मोटे लड़ाकों से. लेकिन उसकी असली लड़ाई तो हमास से ही रही है. लेकिन अभी जिस ताकत से इजरायल ने लेबनान में घुसकर हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया और हिजबुल्लाह के मुखिया हसन नसरल्लाह को मार गिराया, उससे सवाल पैदा होते हैं कि अब इजरायल का अगला निशाना कौन है. क्या अब इजरायल सीधे ईरान पर हमला करेगा या फिर अभी इजरायल का अगला निशाना यमन और उसके हूती विद्रोही हैं. जिन्होंने इजरायल के खिलाफ चल रही जंग में हमेशा हमास का ही साथ दिया है.
चाहे जितनी मर्जी बातें की जाए कि इजरायल का दुश्मन हमास है या फिर हिजबुल्लाह या फिर हूती, लेकिन इजरायल का असल दुश्मन कोई है तो वो है ईरान. क्योंकि चाहे हिजबुल्लाह हो, हमास हो या हूती. इनमें से किसी के पास इतनी ताकत नहीं है कि वो बिना ईरान की मदद के इजरायल के खिलाफ कोई भी बड़ी जंग कर पाएं. लिहाजा अब तक हमास, हूती और हिजबुल्लाह ने इजरायल के खिलाफ जितने भी घातक हमले किए हैं, सब में ईरान का हाथ रहा ही है. ईरान ने भी कभी सीधे इजरायल के खिलाफ हमला नहीं किया है. जब भी इजरायल के खिलाफ हमला करना पड़ा है, उसने इन्हीं तीन बड़े संगठनों के जरिए इजरायल पर हमला करवाया है.
यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ जंग छेड़ सकता है इजरायल
लिहाजा सवाल उठ रहे हैं कि हमास का मुखिया मारा गया, हिजबुल्लाह का मुखिया मारा गया तो अब इजरायल के निशाने पर कौन है. क्या अब इजरायल सीधे ईरान के खिलाफ जंग का ऐलान करेगा या फिर अब भी इजरायल यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ ही जंग छेड़ेगा. क्योंकि हसन नसरल्लाह को मारने के तुरंत बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है- ‘इस पूरे इलाके में जब और जहां जरूरत हो, इजरायल की सेना कहीं भी एयर स्ट्राइक कर सकती है.’ लेबनान के बेरूत में हुई एयर स्ट्राइक इस बात की गवाही देती है कि हमारी बात कितनी सच है.”
बेंजामिन नेतन्याहू का इशारा ईरान की तरफ
जाहिर है कि बेंजामिन नेतन्याहू का इशारा ईरान की तरफ ही है. लेकिन इस बात के बाद भी इजरायल ने ईरान के खिलाफ जंग नहीं छेड़ी है बल्कि उसने निशाना यमन को बनाया है, जिसके हूती विद्रोहियों ने इजरायल के खासा परेशान किया है. हिजबुल्लाह के कमांडर को मारने और हमले में ईरान की सेना के डिप्टी जनरल का खात्मा करने के बाद इजरायल की एयरफोर्स ने यमन के बंदरगाह शहर होदीदाह में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर दर्जनों हमले किए हैं.
3 तरफ से एक साथ जंग कर रहा इजरायल
यानी कि अभी इजरायल तीन तरफ से एक साथ जंग कर रहा है. फिलिस्तीन में हमास से, लेबनान में हिजबुल्लाह से और यमन में हूतियों से. ऐसे में ईरान के खिलाफ एक और मोर्चा खोलना इजरायल के लिए फिलहाल भारी पड़ सकता है. लिहाजा ईरान चाहे जितना भी उकसाए अभी इजरायल ईरान के खिलाफ शांत ही रहेगा. ईरान भी इजरायल के खिलाफ सीधी जंग से बचेगा ही बचेगा. क्योंकि ईरान में अयातुल्लाह खामनेई और नए राष्ट्रपति मसूद पजशकियान दोनों इजरायल के खिलाफ अलग-अलग ढंग से सोच रहे हैं.
ईरान को इजरायल के अलावा अमेरिका का भी डर
ईरान में हमास के मुखिया इस्माइल हनिया की हत्या के बाद जामकरन मस्जिद पर लाल झंडा लगाने और अयातुल्लाह अली खमेनेई के आदेश के बाद भी अगर ईरान की सेना ने इजरायल पर हमला नहीं किया तो उसकी वजह ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजशकियान ही थे, क्योंकि पजशकियान को डर था कि अगर ईरान ने सीधे इजरायल पर हमला किया तो फिर ईरान को न सिर्फ इजरायल का गुस्सा झेलना पड़ेगा बल्कि अमेरिका भी इजरायल के साथ आकर जंग लड़ेगा और इन दोनों देशों से एक साथ लड़ना ईरान और मसूद पजशकियान के लिए मुमकिन नहीं होगा.
पजशकियान और खमेनेई के बीच बिगड़ा तालमेल
ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स सीधे-सीधे इजरायल की राजधानी तेल अवीव और दूसरे शहरों के मिलिट्री बेस पर हमला करना चाहती है. इस हमले के लिए इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खमेनेई से भी आदेश मिल चुका है. लेकिन पजशकियान और खमेनेई के बीच तालमेल बिगड़ने की वजह से ईरान सीधी जंग नहीं लड़ रहा है. ये जंग रुकी कब तक है, कोई नहीं जानता. लेकिन इतना तय है कि मिडिल ईस्ट में अशांति अभी और बढ़ने वाली है.
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