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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि उसे आतंकवाद का अंजाम भुगतना होगा। उन्होंने गाजा और यूक्रेन संकटों के समाधान के लिए वैश्विक एकता की आवश्यकता…
फ्लैग:: संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा क्रॉसर…
– यूक्रेन और गाजा संकट वैश्विक शांति के लिए अच्छा नहीं
संबोधन की खास बातें
1.पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को आतंकवाद का अंजाम भुगतना होगा
2.जीडीपी की गणना कट्टरता और आतंक के निर्यातक के रूप में
3.वैश्विक शांति के लिए दुनिया के सभी देशों को एकजुट होना होगा
4.पाकिस्तान की हरकतों से दुनिया के दूसरे भी प्रभावित होते हैं
5.विकसित भारत के लिए हर क्षेत्र में तरक्की की राह पर भारत
संयुक्त राष्ट्र, एजेंसी। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने पाकिस्तान पर एक फिर हमला किया है। शनिवार को महासभा के 79वें सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच अब केवल एक मुद्दा बचा है, और वह है पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जे में लिए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सख्त लहजे में कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद का अंजाम भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के जीडीपी की गणना कट्टरता और आतंक के निर्यातक के रूप में होती है। पाकिस्तान की जो हालत है वह उसके कर्मों का नतीजा है। यूक्रेन और गाजा संकट पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि ये दुनिया के लिए सही नहीं है। गाजा युद्ध समय के साथ व्यापाक होता जा रहा है। वैश्विक शांति के लिए दुनिया के सभी देशों को एकजुट होना होगा तभी सभी तरह की वैश्विक समस्याओं का समाधान संभव है।
आतंक नीति सफल नहीं होगी
विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की सीमा पार से आतंकी नीति कभी सफल नहीं होगी। अगर हम वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता को महत्व देते हैं तो ये जरूरी है कि हम इसका नेतृत्व करें। विश्व समुदाय को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक कारणों से संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादियों पर प्रतिबंध बाधित नहीं होना चाहिए।
पाकिस्तान बेहतरीन उदाहरण
विदेश मंत्री ने कहा कि कई देश स्थिति हाथ से बाहर निकल जाने के कारण पीछे छूट गए। कुछ देशों ने जानबूझकर ऐसा विकल्प चुना है जिसका परिणाम पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी साबित हो रहा। इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण पाकिस्तान है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान की हरकतों से दूसरे भी प्रभावित होते हैं। आज हम देख सकते हैं कि जो वह बुराईयां दूसरों पर थोपना चाहता है वे उसके की समाज को निगल रही है।
सबके विकास पर भारत पर जोर
विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत अपने सभी नागरिकों के समान विकास पर जोर दे रहा है। भारत हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है। महिलाओं, युवाओं और किसानों को ध्यान में रखकर निरंतर विकास कार्य हो रहे हैं जिसका मूल उद्देश्य विकसित राष्ट्र का लक्ष्य हासिल करना है। भारत में नवाचार से लेकर महिला उत्थान पर काम हो रहा है जिसकी झलक दुनिया देख रही है। लोगों को नल से स्वच्छ जल मुहैया कराना सरकार की पहली प्राथमिकता है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय गाजा और यूक्रेन में जारी संघर्ष का तत्काल समाधान चाहता है
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय गाजा और यूक्रेन में जारी संघर्ष का तत्काल समाधान चाहता है। दुनिया बड़े पैमाने पर हिंसा जारी रखने के बारे में अब भाग्यवादी नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि कमजोर और असुरक्षित लोगों के लिए आर्थिक निहितार्थों को उजागर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र विश्व व्यवस्था के सहमत सिद्धांतों और साझा उद्देश्यों का एक प्रमाण है और अंतरराष्ट्रीय कानून और प्रतिबद्धताओं का सम्मान सबसे महत्वपूर्ण है। जयशंकर ने कहा, अगर हमें वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करनी है तो यह जरूरी है कि जो लोग नेतृत्व करना चाहते हैं वे सही उदाहरण पेश करें।
मौजूदा दौर में बातचीत और समझौते हुए कठिन:
उन्होंने कहा कि हम यहां मुश्किल समय में एकत्रित हुए हैं। दुनिया अभी भी कोविड महामारी के प्रभाव से उबर नहीं पाई है। पूरे ‘ग्लोबल साउथ’ (विकासशील देशों के संदर्भ में इस्तेमाल) में विकास योजनाएं पटरी से उतर गई हैं और सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) पीछे छूट रहे हैं। जयशंकर ने चीन के अरबों डॉलर के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) का संदर्भ देते हुए कहा कि अनुचित व्यापार प्रथाओं से नौकरियों को खतरा है, ठीक वैसे ही जैसे अव्यावहारिक परियोजनाओं से कर्ज का स्तर बढ़ता है। कोई भी संपर्क जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को प्रभावित करता है, सामरिक अर्थ प्राप्त करता है, खासकर तब, जब यह साझा प्रयास न हो।” विदेश मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी में उन्नति लंबे समय से आशा का स्रोत रही है, लेकिन अब यह उतनी ही चिंता का विषय भी बन गई है। उन्होंने कहा, ‘जलवायु संबंधी घटनाएं अधिक प्रचंड और बार-बार हो रही हैं। खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा जितनी ही चिंताजनक है। सच तो यह है कि दुनिया विखंडित, ध्रुवीकृत और निराश है। बातचीत मुश्किल हो गई है, समझौते और भी मुश्किल हो गए हैं। यह निश्चित रूप से वैसी स्थिति नहीं है जो संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक हमसे अपेक्षा करते थे।” उन्होंने कहा कि आज शांति और समृद्धि दोनों ही समान रूप से खतरे में हैं और ऐसा इसलिए है, क्योंकि विश्वास खत्म हो गया है तथा प्रक्रियाएं टूट गई हैं। विदेश मंत्री ने कहा, ”देशों ने अंतरराष्ट्रीय प्रणाली में जितना निवेश किया है उससे कहीं अधिक दोहन किया है, जिससे यह प्रणाली कमजोर हो गई है।”
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