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– विशेष अदालत ने 25 सितंबर को सुनाए आदेश में आरोपों को गंभीर बताया
कोलकाता, एजेंसी। सीबीआई की एक विशेष अदालत ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं। आरोपों के साबित होने पर फांसी की सजा भी हो सकती है। कोर्ट ने 25 सितंबर को सुनाए गए अपने आदेश में कहा कि केस डायरी से ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांच की प्रक्रिया जोरों पर है। घोष की जमानत याचिका को खारिज करते हुए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एस डे ने कहा कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। यदि ये साबित हो जाते हैं तो इसमें मृत्युदंड की सजा हो सकती है, जो दुर्लभतम मामलों में दी जाती है।
जज ने कहा कि अदालत की राय है कि आरोपी को जमानत पर रिहा करना समता के सिद्धांत का उल्लंघन होगा। उन्होंने आदेश में कहा कि एक व्यक्ति दूसरों की मदद से अपराध कर सकता है और अन्य आरोपियों को घटना स्थल पर मौजूद रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान घोष और दूसरे आरोपी ताला पुलिस थाने के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। इसने 30 सितंबर तक दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने के सीबीआई के अनुरोध को स्वीकार कर लिया। बता दें कि घोष के वकील ने अदालत में दावा किया था कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया था।
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