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बीमा को लेकर गाइडलाइन जारी नहीं आने से पशुपालक परेशान हो रहे है। मोटी रकम चुका कर पशुओं का बीमा करवाने पर मजबूर हो रहे है। प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री ने नई मंगला पशु बीमा योजना को लागू करने की घोषणा की थी।
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योजना के तहत प्रदेश में 21 लाख मवेशियों का बीमा करने का प्रावधान है। इसके लिए 400 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान कर गाय, भैंस, भेड़ बकरी व ऊंट का बीमा करवाना था। लेकिन योजना को लेकर अब तक गाइडलाइन तैयार नहीं की गई।
इसके चलते प्रदेश के पशुपालक पशोपेश में हैं। पूर्व में लंपी संक्रमण के दौरान लाखों रुपए की कीमत वाले दुधारू पशुओं को गंवा चुके पशुपालकों को निजी बीमा कंपनियों को प्रीमियम की मोटी रकम चुका कर दुधारू पशुओं का बीमा करवाना पड़ रहा है।
इससे पहले पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में कामधेनु बीमा योजना शुरू की थी। मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना में एक परिवार से अधिकतम दो-दो दुधारू पशुओं का बीमा कवर होना था। दुधारू पशुओं की मृत्यु पर अधिकतम 40 हजार प्रति पशु बीमा मिलना था।
योजना में वार्षिक 8 लाख रुपए आय वाले पशुपालकों को शामिल किया था। इसकी प्रीमियम राशि राज्य सरकार को वहन करनी थी। लेकिन अतिरिक्त भत्ता आदि देय नहीं होने से पशु चिकित्सक हड़ताल पर चले गए व मुख्यमंत्री के आश्वासन पर हड़ताल समाप्त हुई।
इसके बाद चुनाव आचार संहिता लगने से योजना पर काम नहीं हो पाया।
महंगाई राहत शिविर में 90 लाख परिवारों के एक करोड़ से ज्यादा दुधारू गाय व भैंस के बीमा के लिए पंजीयन करवाए थे, लेकिन बीमा नहीं हो सका।
नई सरकार बनने के बाद इस योजना को अघोषित रूप से बंद कर दिया। मुख्यमंत्री ने नई मंगला पशु बीमा योजना को लागू करने की घोषणा कर दी। लेकिन अभी तक नई योजना पर धरातल काम नहीं हुआ। गाइडलाइन जारी नहीं होने से पशुपालकां को परेशान होना पड़ रहा है। मजबूरी में मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है।
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