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दिल्ली की एक अदालत ने करीब चार साल पहले एक व्यक्ति पर तेजाब डालने के आरोपी को गैर इरादतन हत्या के आरोप से यह कहते हुए बरी कर दिया कि अपराध को लेकर अलग-अलग विवरण प्रस्तुत किया गया। घटना में तेजाब डालने से घायल व्यक्ति की मौत हो गई थी।
अदालत ने रेखांकित किया कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित की मौत जलने से नहीं हुई और यहां तक कि तेजाब से उसके शरीर का महज नौ प्रतिशत हिस्सा ही जला था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुभाष कुमार मिश्रा ने गोलू नामक आरोपी के खिलाफ मामले पर सुनवाई की। उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज था।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, गोलू और पीड़ित के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ, जिसके बाद आरोपी ने जेब से तेजाब निकाल कर पीड़ित पर उड़ेल दिया, जिससे उसके शरीर का निचला हिस्सा जख्मी हो गया। उसने बताया कि घटना अक्टूबर 2019 की है।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, घटना के चार-पांच दिन बाद पीड़ित को 22 अक्टूबर 2019 को सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां पर अगले दिन की उसकी मौत हो गई। घटना के बाद आरोपी को पकड़ लिया गया।
अदालत ने 10 सितंबर को सुनाए गए आदेश में कहा कि पीड़ित ने पुलिस एवं डॉक्टर्स को बताया कि घटना 4-5 दिन पहले हुई थी। उसने यह भी बताया कि उसे पकड़े जाने का डर था और गाजीपुर गोल चक्कर के पास कुछ चालकों ने उसकी पिटाई की थी एवं तेजाब फेंका था।
अदालत ने कहा, ‘उसने (पीड़ित) यह नहीं बताया कि वह पकड़े जाने को लेकर क्यों डरा हुआ था, अगर उसने कोई अपराध नहीं किया था।’ अदालत ने कहा, ‘पीड़ित का उपरोक्त बयान न तो अपराध होने के तुरंत बाद शिकायत न करने का कारण बताता है और न ही डॉक्टर और पुलिस को अलग-अलग तथ्य बताने का कारण।’
अदालत ने रेखांकित किया कि डॉक्टर्स को दिए गए एक अन्य बयान में पीड़ित ने कहा कि उसे जला दिया गया था। अदालत ने कहा, ‘यह साबित हो चुका है कि अपराध करने के तरीके और वास्तविक अपराधी के बारे में विरोधाभासी विवरण, प्राथमिकी दर्ज करने में देरी और मेडिकल रिपोर्ट के कारण अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित करने में विफल रहा है।’ जज ने कहा,‘इसलिए आरोपी गोलू को आरोपों से बरी किया जाता है।’
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