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अपोलो अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. एस चटर्जी ने दावा किया कि दिल्ली के साथ एनसीआर के इलाकों में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं।
दिल्ली के साथ एनसीआर के इलाकों में भी स्वाइन फ्लू के मामले भी बढ़ रहे हैं। अपोलो अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. एस चटर्जी ने यह दावा किया। डॉ. एस चटर्जी ने कहा- ओपीडी में स्वाइन फ्लू के साथ ही वायरल इंफेक्शन, हैजा और डेंगू के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। चूंकि मौजूदा वक्त में बहुत सारे संक्रमण देखे जा रहे हैं। इस वजह से इनकी पहचान और निदान एक बड़ी चुनौती बन गया है।
डॉ. एस चटर्जी ने बताया कि ओपीडी में साधारण वायरल इंफेक्शन के मरीजों के साथ स्वाइन फ्लू के भी ज्यादा मामले और कुछ कोविड के केस भी देखे जा रहे हैं। यही नहीं डेंगू, टाइफाइड के साथ हैजा के केस भी देखे जा रहे हैं। हालांकि हैजा के मरीजों की संख्या कम है। डॉ. चटर्जी ने कहा- ओपीडी में हम कई तरह के मामले देख रहे हैं, इसलिए मरीजों के लिए जरूरी है कि वे डॉक्टरों के पास तुरंत जाएं ताकि समय पर उन्हें जटिलताओं से बचाया जा सके।
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर चटर्जी ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों के दौरान हमने ऐसे केस देखे हैं कि जब कोई मरीज सांस की तकलीफ के साथ आता है तो हम यह पता लगाने के लिए टेस्ट कराते हैं कि उसे स्वाइन फ्लू या COVID तो नहीं है। वैसे यह मौसम की वजह से भी हो सकता है क्योंकि इस समय गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण की संभावना अधिक है। इस समय रेस्पीरेटरी इंफेक्शन की संभावना भी ज्यादा हो सकती है।
डॉक्टर चटर्जी ने कहा कि मरीजों में सामान्य लक्षण नाक बहना, छींक, गले में खराश, खांसी और शरीर में दर्द के साथ रेस्पीरेटरी इंफेक्शन, तेज बुखार और कमजोरी देखे जा रहे हैं। हालांकि कुछ मामलों में मरीज सामान्य से अधिक कमजोर महसूस करते हैं। वहीं एक अन्य विशेषज्ञ डॉ. समीर भाटी ने कहा कि सितंबर में आमतौर पर डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों में तेजी देखी जाती है। ऐसे में समय पर जांच जरूरी है।
डॉ. समीर भाटी ने यह भी कहा कि मौजूदा वक्त में राहत की बात यह है कि एक ही जांच में अब कई वायरल एवं अन्य सीजनल बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। मौजूदा सीजन में H1N1 (स्वाइन फ्लू) और H3N2 की जांच महत्वपूर्ण हो जाती है। स्वाइन फ्लू की जांच खासकर उन मरीजों के लिए जरूरी है जिनमें छाती और सांस की तकलीफ से संबंधित लक्षण नजर आता है। हमें फ्लू के लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। खासकर उच्च जोखिम वाले मरीजों को बिना देरी के इनकी जांच करवाना चाहिए। आलम यह कि जिन मरीजों को पहले से कोई गंभीर बीमारी है, उन्हें आईसीयू की जरूरत पड़ रही है।
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