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दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को जमीन के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी अमित कत्याल को जमानत दे दी। साथ ही अदालत ने ईडी की आलोचना भी की।
दिल्ली हाईकोर्ट ने रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में मंगलवार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी अमित कात्याल को जमानत दे दी। इसके साथ ही अदालत ने ईडी को आईना भी दिखाया। अदालत ने मामले में चुनिंदा तरीके से कार्रवाई करने की बात कहते हुए ईडी की निंदा भी की।
अदालत ने कहा कि मामले में किसी अन्य आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होने और इस तथ्य के बावजूद कि कात्याल जांच में शामिल हो गए थे, उन्हें रांची जाते समय इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से अचानक गिरफ्तार कर लिया गया। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा- प्रतिवादियों द्वारा याचिकाकर्ता (कात्याल) की गिरफ्तारी की आवश्यकता के बारे में नहीं बताया गया है।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा- यह अपने आप में न केवल प्रतिवादी की ‘चुनिंदा’ (कार्रवाई) की नीति को दर्शाता है, जिसकी सुप्रीम कोर्ट ने मामले में निंदा की है…, बल्कि याचिकाकर्ता को इस सिद्धांत पर जमानत का अधिकार भी देता है कि याचिकाकर्ता की भूमिका अन्य आरोपी व्यक्तियों की तुलना में बहुत कम है। ED ने कात्याल को 10 नवंबर, 2023 को पीएमएलए के विभिन्न प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था।
ईडी ने आरोप लगाया है कि कात्याल ने रेलवे में नौकरी के इच्छुक कई लोगों से जमीन खरीदी और यह खरीद राजद प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद की ओर से की गई। ईडी ने दावा किया है कि कात्याल ‘एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की कंपनी के निदेशक थे, जिसने लालू प्रसाद की ओर से नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों से जमीन खरीदी थी।
मामले में लालू परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी आरोपी हैं। निचली अदालत ने 22 मई को कात्याल की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उन्हें राहत देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है।
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