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मुंबई. एक फिल्म को सक्सेसफुल बनाने में सिर्फ हीरो या डायरेक्टर का ही हाथ नहीं होता. फिल्मों को सक्सेस बनाने में गीतकार, लेखक और डायलॉग्स राइटर का भी अहम रोल रहता है. गुलजार और जावेद अख्तर की तरह प्रसून जोशी भी अवॉर्ड विनिंग गीतकार और लेखक रहे हैं. आज उनका जन्मदिन है. वह 53 साल के हो गए हैं. उनका जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था. प्रसून ने ह्युमेन फीलिंग्स, लाइफ लेशंश, एम को पाने की ललक पाने वाले गाने लिखे और खूब पॉपुलैरिटी हासिल की.
प्रसून जोशी पद्म श्री से सम्मानित हैं. यह एक बड़ी कंपनी के सीईओ भी हैं और सालों से सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं. प्रसून ने एड वर्ल्ड से करियर शुरू किया. मां पॉलिटिकल साइंस की लेक्चरर थीं तो पिता शिक्षा विभाग में पदस्थ. माता पिता दोनों शास्त्रीय संगीत में पारंगत. अब ऐसे में भला प्रसून कहां पीछे छूटते उन्होंने भी रचनात्मकता को अपना शगल बना लिया.
17 की उम्र में लिखी किताब, एड वर्ल्ड से की करियर की शुरुआत
पहली किताब तब छपी जब मात्र 17 साल के थे. नाम था “मैं और वो”. प्रेरणा ली फ्रेडरिक नेट्जे की किताब दस स्पेक जराथुस्त्रे. फिर पढ़ाई पूरी की और एड वर्ल्ड में एंट्री मारी. कई कैम्पेन गढ़े. हिंदी सिने जगत में धमाकेदार एंट्री ‘लज्जा’ से की. गाने पसंद किए गए. समीर के साथ बोल रचे. फिर तो गाड़ी ने रुख फिल्मी दुनिया की ओर भी किया. एक से बढ़कर एक गाने लिखे.
प्रसून जोशी ने दो बार जीते नेशनल अवॉर्ड
प्रसून जोशी की भाषा संयंमित, सहज और भौंडेपन-अश्लीलता से कोसों दूर रही है. ‘तारे जमीं पर’, ‘रंग दे बसंती’, ‘भाग मिल्खा भाग’ और ऐसे कई गीत जो सुनने वालों को अलग ही दुनिया की सैर करा जाते हैं. ‘तारे जमीन पर’ के ‘तुझे सब है पता मेरी मां’ और ‘चटगांव’ के ‘बोलो ना’ के लिए दो बार नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला. कई फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किए.
Tags: Bollywood news, Prasoon joshi
FIRST PUBLISHED : September 16, 2024, 07:11 IST
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