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अजय माकन हरियाणा चुनाव के लिए गए तीन ऑब्जर्वरों में से एक हैं।
हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी का मुकाबला है, और अभी नहीं पहले भी था। लोकसभा चुनाव के दौरान हम यह देख चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुकाबला है तो इधर-उधर देखने का क्या मतलब है। माकन ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी को ही यद
.
यह बात उन्होंने तब कही जब उनसे पूछा गया कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी भी चुनाव लड़ रही है, इस बार कांग्रेस से उसका गठबंधन भी नहीं है। इससे सीधे-सीधे कांग्रेस को नुकसान पहुंचेगा।
माकन के बयान के 2 मायनें
1. वोटरों के ध्रुवीकरण का कांग्रेस को डर
हरियाणा में इस बार कांग्रेस बिना आम आदमी पार्टी (AAP) के चुनाव लड़ रही है। सियासी जानकारों की मानें अरविंद केजरीवाल की रिहाई के बाद कांग्रेस को डर है कि आप के चुनाव लड़ने से वोटरों का ध्रुवीकरण हो सकता है, जो उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
2. जजपा-INLD काट सकती हैं जाट वोट
हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टियां जजपा और INLD भी चुनाव में पूरी ताकत से जुटी हुई हैं। जजपा इस बार आजाद पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। वहीं INLD और बसपा साथ हैं। ऐसे में कांग्रेस को डर है कि जाट के साथ ये दोनों पार्टियां दलित वोट पर हाथ साफ कर सकती हैं।
हरियाणा चुनाव में माकन की क्या है भूमिका
कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव की देखरेख के लिए 3 ऑब्जर्वर नियुक्त किए हैं। इनमें राजस्थान के पूर्व CM अशोक गहलोत, सीनियर कांग्रेस नेता अजय माकन और पंजाब विधानसभा में कांग्रेस की तरफ से विपक्षी दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा शामिल हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हरियाणा चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद गुटबाजी बढ़ गई है।
कांग्रेस ने इस बार हुड्डा पर भरोसा करते हुए उनके 60 से ज्यादा समर्थकों को टिकटें दी हैं। ऐसी सूरत में कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला गुट की नाराजगी कहीं पार्टी का नुकसान न करे, इसको लेकर हाईकमान नजर रखेगा। इसके अलावा भूपेंद्र हुड्डा गुट के सैलजा समर्थकों वाली सीटों पर भी कामकाज की निगरानी की जाएगी।
कमेटी करेगी ये 3 काम
1. हरियाणा चुनाव को लेकर ऑल इंडिया कमेटी (AICC) के द्वारा गठित की गई 3 ऑब्जर्वर की कमेटी चुनाव के दौरान हर पहलू पर नजर रखेगी। कमेटी के 3 काम महत्वपूर्ण होंगे। पहला जिन सीटों पर बगावत हो रही है उन सीटों के बागी नेताओं से मुलाकात कर उन्हें मनाने की जिम्मेदारी होगी।
2. इसके साथ ही कमेटी यह भी तय करेगी कि कमजोर सीटें कौन-कौन सी हैं, उन्हें जीतने वाली सीटों की लिस्ट में शामिल करने के लिए क्या करने की जरूरत है।
3. तीसरा सबसे महत्वपूर्ण काम कमेटी का पार्टी के बड़े नेताओं के बीच चल रहे मतभेद को खत्म कराना होगा।
इसलिए हाईकमान ने बनाई कमेटी
हरियाणा में कांग्रेसी नेताओं की धड़ेबंदी जगजाहिर है और पार्टी ने इसका नुकसान 2 विधानसभा और 3 लोकसभा चुनाव में उठाया है। लोकसभा चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर पूर्व मंत्री किरण चौधरी और गुरुग्राम में पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय यादव ने टिकट कटने के बाद अपनी नाराजगी खुलकर जताई।
किरण अब कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गई है।किरण चौधरी ने तो हुड्डा कैंप पर उनकी सियासी हत्या की साजिश रचने जैसे आरोप तक लगाए थे। गुरुग्राम, रेवाड़ी जिलों में लालू यादव के समधी कैप्टन अजय यादव कांग्रेस का बड़ा चेहरा है मगर हुड्डा से उनकी कुछ खास नहीं बनती।
इसी तरह कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और चौधरी बीरेंद्र सिंह जैसे नेताओं की भूपेंद्र सिंह हुड्डा से दूरी बनाए रहते हैं।
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