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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने नर्मदा नदी की पवित्रता को बनाए रखने के लिए इसके किनारे बसे इलाकों में शराब और मांस की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है, और इस बात को सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश भी दे दिए हैं। खास बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने भी सीएम के इस विचार का स्वागत किया है, और उज्जैन से शराब पर प्रतिबंध लगाने की शुरुआत करने की बात कही है।
इस बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने शनिवार को एएनआई से कहा, ‘राज्य सरकार के सभी विभागों को मिलाकर हमने कोशिश की है कि मां नर्मदा के स्वरूप और आशीर्वाद को बनाए रखा जाए। जो धार्मिक नगर हैं, जिसमें मांस-मदिरा की दुकानें हैं, हम कोशिश करेंगे कि उन धार्मिक नगरों से मांस-मदिरा की दुकानों को प्रतिबंधित किया जाए। मुझे उम्मीद है कि बैठक में लिए गए निर्णयों की नवंबर में फिर से समीक्षा की जाएगी। यह एक दिन की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह तो एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है।’
इस बीच कांग्रेस पार्टी ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इसे एक पवित्र पहल बताया है। कांग्रेस नेता और पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस बारे में कहा, ‘यह एक पवित्र विचार है। अगर सीएम ने ऐसा निर्णय लिया है, तो यह स्वागत योग्य है। सीएम खुद महाकाल की नगरी (उज्जैन) से आते हैं, तो उन्हें सबसे पहले शराब पर प्रतिबंध वहां लगाना चाहिए। हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने उज्जैन में एक सभा की और एक प्रस्ताव पारित कर सीएम से अनुरोध किया कि वे सबसे पहले राज्य के सबसे पवित्र शहर उज्जैन में शराब पर प्रतिबंध लगाएं। अगर वे ऐसा करते हैं, तो हम उनका नागरिक अभिन्दन करेंगे।’
इससे पहले शुक्रवार को सीएम यादव ने कैबिनेट मंत्रियों के साथ बैठक कर नर्मदा नदी को स्वच्छ रखने, इसके अविरल प्रवाह को बनाए रखने और इसके समग्र विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्य योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए नर्मदा के आसपास की गतिविधियों पर सैटेलाइट इमेजरी और ड्रोन तकनीक से नजर रखी जानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि नर्मदा के किनारे या धार्मिक स्थलों के आसपास के धार्मिक शहरों में मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
भोपाल के अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान में आयोजित बैठक में सीएम ने राज्य की जीवन रेखा मानी जाने वाली नर्मदा नदी के संरक्षण और संवर्धन अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अनूपपुर जिले के अमरकंटक में, जहां से नर्मदा का उद्गम होता है, को पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे ज्यादा प्रमुखता दी जानी चाहिए। यादव ने कहा ‘यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नर्मदा नदी के किनारे बसे धार्मिक शहरों और स्थानों के आसपास मांस और मदिरा का सेवन न हो। नर्मदा नदी के उद्गम से दूर भविष्य की बस्तियों, भूमि की पहचान की जानी चाहिए और एक सैटेलाइट शहर विकसित किया जाना चाहिए। नर्मदा में सीवेज नहीं छोड़ा जाना चाहिए। इस पर समय सीमा के भीतर काम किया जाना चाहिए।’
मुख्यमंत्री ने नर्मदा को प्रदूषित करने वाले कीटनाशकों और रसायनों को रोकने के लिए नदी के दोनों किनारों पर पांच किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का भी आह्वान किया। सीएम यादव ने यह निर्देश शुक्रवार को विभिन्न विभाग के अधिकारियों हुई एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिए। बता दें कि नर्मदा नदी के किनारे 21 जिले, 68 तहसील, 1138 गांव और 1126 घाट हैं, साथ ही 430 प्राचीन शिव मंदिर और दो शक्तिपीठ भी हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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