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दिल्ली के सुभाष प्लेस में दो महीने पहले एक घर में हुई चोरी के मामले को सुलझाने के लिए पुलिस पॉलीग्राफ टेस्ट का सहारा लेगी। इसके लिए पुलिस ने रोहिणी कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अनुमति मांगी है। दिल्ली में पहली बार चोरी के मामले में पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की तैयारी है। जानकारी के अनुसार, ख्याली राम पाल शकूरपुर स्थित मकान में भूतल और पहली मंजिल पर परिवार के साथ रहते हैं, जबकि दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिल पर किराएदार रहते हैं।
बताया जाता है कि सात जुलाई को पूरा परिवार यूपी के कासगंज अपने गांव शादी समारोह में गया था। जाते समय हमेशा की तरह घर की चाबी पड़ोस में रहने वाले परिवार को दे गया। 17 जुलाई को ख्याली राम बेटी के साथ शकूरपुर आए। जब बेटी ने आलमारी खोली तो चोरी के बारे में मालूम हुआ। आलमारी से साढ़े पांच लाख रुपये कैश एवं दो-दो तोले सोने एवं चांदी के गहने गायब थे।
किराएदारों पर शक
टंकी में पानी भरने के लिए मोटर का स्विच पहली मंजिल के अंदर है। प्रत्येक दिन किराएदार पड़ोसी से चाबी लेकर ख्याली राम के घर के अंदर जाते थे और मोटर चलाकर पानी भरते थे। फिर काम खत्म होने पर चाबी लौटा देते थे। पुलिस की शक की सुई किराएदारों की तरफ घूम गई है। ऐसी आशंका है कि मोटर चलाने के बहाने घर में चोरी की जा सकती है। जांच में भी किराएदारों से कोई सुराग नही मिला।
यह टेस्ट अदालत में सबूत के तौर पर मान्य नहीं
पॉलीग्राफ टेस्ट को ही लाई डिटेक्टर टेस्ट के नाम से जाना जाता है। इसमें डॉक्टर की निगरानी में संदिग्ध या आरोपी को केमिकल इंजेक्शन दिया जाता है। फिर अर्ध मूर्छित अवस्था में पहुंचे आरोपी से पुलिस मुकदमे से जुड़े प्रश्न पूछती है। हालांकि, इस दौरान जो भी निष्कर्ष निकलता है वह सबूत के तौर पर मान्य नहीं है।
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